कात्यायनी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सम्पन्न

कात्यायनी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सम्पन्न

ऋषिकेश-शीशम झाड़ी स्थित मां कात्यायनी मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान कथा सप्ताह का शुक्रवार को समापन हो गया।



इस पावन अवसर पर अयोध्या से पहुंचे आचार्य राघव ने धार्मिक अनुष्ठान में सहभागिता की।उन्होंने कथा श्रवण के लिए पहुंचे श्रद्वालुओं को कहा कि श्रीमद‍्भगवत के अठारह अध्यायों में ज्ञान योग, कर्म योग, भक्ति योग का समावेश है, जिससे लगता है मां सरस्वती स्वयं प्रकट होकर अज्ञान रूपी तमस को समाप्त कर ज्ञान रूपी सूर्य का उदय करती है। गीता ज्ञान केवल भारतीय जनमानस के लिए ही हो, ऐसा कदापि नहीं है बल्कि यह सम्पूर्ण संसार का एक ऐसा दिव्य व भव्य ग्रन्थ है जिसे स्वयं परमात्मा ने रचा है। सारे विश्व को ज्ञान, कर्म एवं भक्ति का रहस्य समझाने वाले महान ग्रन्थ ‘श्रीमद‍्भगवत गीता’ का सृजन स्वयं परमात्मा ने किया है और ‘महाभारत’ के युद्ध में स्वयं भगवान‍् श्रीकृष्ण ने इसे अपने शिष्य अर्जुन को सुनाया है। श्रीमद‍्भगवत गीता जीवन पद्धति का सार भी है। यह मानव में व्याप्त विभिन्न विकारों को दूर करने की पद्धति भी है तो जीवन जीने की अद‍्भुत कला भी श्रीमद‍्भगवत गीता ही सिखाती है।इस दौरान मंदिर केसंस्थापक गुरविंदर सलूजा ने उनका स्वागत एवं अभिनंदन भी किया।इससे पूर्व श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर कथावाचक चेतन महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा किश्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के माध्यम से समाज में एकजुटता आती है।  करने से देवता प्रसन्न होकर मानव का कल्याण करते हैं। कथा का रसपान करने वालों में श्रीमति नामित सलूजा; सोनल त्रिवेदी , वुडही त्रिवेदी ,त्रिशा , तुलसी सीम सहित बड़ी संख्या में धमप्रेमी जनता मोजूद रही।

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