तीर्थ नगरी में कुछ तथाकथित प्राइवेट अस्पताल बने लूट का अड्डा!

तीर्थ नगरी में कुछ तथाकथित प्राइवेट अस्पताल बने लूट का अड्डा!

एम्स में मरीजों का दबाव,सरकारी अस्पताल में सुविधाओं का अभाव

कर्ज लेकर मरीजों को चुकाना पड़ रहा है अस्पतालों का बिल

ऋषिकेश-एम्स में मरीजों की जबरदस्त भीड़ ओर बेड ना मिल पाने की वजह से ऋषिकेश के निजी अस्पतालों में मरीजों के साथ लूट खसोट के मामले बढ़ते ही जा रहे है। वहीं, बेबस मरीज इन्ही सब कारणों से सरकारी अस्पताल की ओर रुख कर रहे हैं।वहां भी इलाज की सुविधा नहीं होने होने से मरीज भटकने को मजबूर हैं।



 तीर्थ नगरी में निजी अस्पतालों का ये रवैय्या मरीजों की पीड़ लगातार बढ़ा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर लोग उधार, ब्याज या फिर गहने बेचकर उपचार कराने को मजबूर हो रहे हैं।चिकित्सा कोई व्यवसाय नहीं, एक सेवा का माध्यम है यह बातें सिर्फ हाथी के दांत खाने के ओर दिखाने के ओर की ही कहावत को चरितार्थ करती दिख रही हुए।आज सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं नहीं होने से निजी अस्पताल में जो लूट मची है, उससे देश की गरीब जनता असहाय महसूस कर रही है। इस मामले में गढ़वाल का मुख्य द्वार कहे जाने वाली देवभूमि भी पीछे नही है।विडंबना ये भी है कि निजी अस्पतालों में मरीजों से लूट-खसोट, कोई नई बात नहीं है।निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य की दृष्टि से तो हालात चिंता का विषय है ही, लेकिन ये लूटपाट एवं धन उगाही के ये ऐसे अड्डे बन गये हैं जो परेशानी का सबब बनते दिख रहे हैं।दिलचस्प बात ये भी है कि पैसे की अंधी भूख में कुछ तथाकथित निजी अस्पताल इलाज के नाम पर आम आदमी को ही नहीं, बल्कि ‘ख़ास’ को भी लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।इलाज के नाम पर लूट के इन हाईटेक प्राईवेट अस्पतालों में जब ख़ास बख्शे नहीं जा रहे, तो आम आदमी की बात ही क्या ?ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इलाज के लिए आम आदमी जाये तो कहां जाए कहाँ?  बताते चलें कि यहां शासन- प्रशासन के जिम्मेदारों की उपेक्षा और उदासीनता के चलते नर्सिंग होम लूट-खसोट का अड्डा बने हुये हैं जिनके संचालक भोली- भाली जनता को मौत का भय दिखाकर उनसे मनमाना पैसा वसूल रहे हैं।

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