विश्व में माँ का स्थान सबसे बड़ा-वैष्णवाचार्य शिव स्वरूप

विश्व में माँ का स्थान सबसे बड़ा-वैष्णवाचार्य शिव स्वरूप
ऋषिकेश-ग्राम सभा खदरी खड़क माफ दिल्ली फार्म में शिव शक्ति कीर्तन मण्डली के सानिध्य में लोक कल्याण के लिए आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद देवी भागवत की तृतीय दिवस माँ चंद्रघंटा की कथा में व्यास पीठ वैष्णवाचार्य पंडित शिव स्वरूप ने कहा कि विश्व में माँ का स्थान सर्वोच्च है।
कथा व्यास पंडित नौटियाल ने अपने रसमयी प्रवचनों में कहा कि सकल विश्व को सनातन संस्कृति और धर्म का मार्ग अनुसरण कराने के लिए सन्यास धारण करने वाले व्यक्ति को दीक्षा देते समय गुरुजन सर्व प्रथम मातृ देवो भवः।पितृ देवो भवः।गुरुदेवो भव: सम्बोधित कर दीक्षा देते हैं।विश्व की सबसे बड़ी संस्कृति सनातन संस्कृति ने भी माँ को सर्वोच्च स्थान दिया है।माँ जन्म दात्री है और जगत जननी माँ भगवती सबकी पालनहार है।उठते-बैठते, सोते-जागते हमें माँ का ध्यान करना चाहिए।कथा संचालक पर्यावरणविद विनोद जुगलान ने कहा कि माँ भगवती शैल पुत्री का प्रथम स्वरूप स्वरूप प्रकृति के रूप में संस्थित है।हमें माँ भगवती का स्मरण करते हुए प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए।प्रकृति की सेवा माँ शैलपुत्री की सेवा कहलाती है।कथा में बलदेव सिंहभण्डारी, धूम सिंह,वीर सिंह,आचार्य रवि कोठियाल,प्रेम दत्त भट्ट,सुंदरी देवी,नीलम देवी,पूनम भण्डारी,भूमा देवी,मकानी देवी,क्वांरा देवी,रेखा पँवार,पदमा नैथानी,आचार्य नरेश मंद्रवाल,जितेंद्र पैन्यूली,महेश पन्त सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण का लाभ लिया।