श्रीमद् भागवत पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप
श्रीमद् भागवत पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप
ऋषिकेश-कात्यायनी मंदिर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन रस मर्मज्ञ सुविख्यात कथा वाचक चेतन भाई ने अपनी अमृत वाणी में श्रद्वालुओं को कथा का रसपान कराकर भाव विभोर कर दिया।
रविवार को कथा प्रवचन करते हुए कथा वाचक ने कहा कि कलियुग में श्रीमद् भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है। क्योंकि कल्पवृक्ष मात्र तीन वस्तु अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है। मुक्ति और भक्ति नही दे सकता है। लेकिन श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। कथा के समापन पर मुख्य यजमान दीपक भाई व मंदिर के संस्थापक गुरुविंदर सलूजा ने श्रद्वालुओं को प्रसाद वितरित किया।