साइंटिफिक पेपर राइटिंग विषय पर कार्यशाला आयोजित

साइंटिफिक पेपर राइटिंग विषय पर कार्यशाला आयोजित

ऋषिकेश-उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय कार्यशाला पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग व स्पेक्स, देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई।”साइंटिफिक पेपर राइटिंग” विषय पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों गहन मंथन के साथ अपने विचार रखे।



कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि व अन्य गणमान्यों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन व पुष्पार्चन कर किया गया।इसके उपरांत आयोजन सचिव प्रोफेसर गुलशन कुमार ढींगरा द्वारा सभी अतिथियों को पौधा भेंट कर स्वागत किया गया।उद्घाटन सत्र में इस कार्यशाला में मुख्य भूतपूर्व प्राचार्य डॉ पी एस मखलोगा थे। कार्यशाला के वक्ता/रिसोर्स पर्सन हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय, स्वामी रामतीर्थ परिसर, बादशाहीथौल के जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एन के अग्रवाल, भारतीय वन अनुसंधान केंद्र, देहरादून (एफ आर आई) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विनीत कुमार, बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पैलियो-साइंस के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सुरेश कुमार पिलाई थे।कार्यशाला के संरक्षक प्रो पी पी ध्यानी व डॉ राजेंद्र डोभाल द्वारा शुभकामनायें प्रेषित की गई ।उन्होंने कहा कि छात्रों में विज्ञान व शोध का वैज्ञानिक स्वभाव होना आवश्यक है। उन्होंने असम की एक नवी कक्षा की छात्रा के वैज्ञानिक सोच के बारे में बताया ।सभी वक्ताओं ने अपने व्याख्यान व कार्यशाला के उदेश्य पर सूक्ष्म प्रकश डाला ।
इसके पश्चात मुख्य अतिथि डॉ पी एस मखलोगा ने एम एल टी विभाग का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया व अपने उद्बोधन ने कहा कि प्रतिभागियों को साइंटिफिक पेपर लिखने के लिए आघुनिक तकनीकियों का सहारा लेना होगा। उन्होंने कहा कि शोध पत्र ऐसा होना चाहिए जिससे समाज को विकास के लिए सहायक हो, इसी के साथ उन्होंने सभी आयोजकों को शुभकामनाएं दी ।
प्रथम तकनीकी सत्र में वक्ता डॉ विनीत कुमार ने कहा कि यदि शोधार्थी छोटे छोटे विचार मन में रखे तो एक दिन बड़े वैज्ञानिक बन सकते है , उन्होंने कहा शोधार्थियों को शोध अवलोकन करने व सोचने की क्षमता को विकसित करने की बारीकियों के बारे में विस्तार से बताया व उन्होंने औषधीय पौधों से निकलने वालो रसायनों के बारे में बताया ।दूसरे व्याख्यान में प्रोफेसर एन के अग्रवाल ने शोध पत्र लिखने की बारीकियों एवं उसके मायने को उजागर किया और शोध के दौरान साइटेशन एवं वैलिडेशन के महत्व को समझाया। उन्होंने शोध के मूलभूत सिद्धांतों एवं प्लेगेरिज्म साहित्यिक चोरी के बारे में भी बताया।तीसरे व्याख्यान में डॉ सुरेश पिल्लई ने कहा कि एक अच्छा शोध पत्र सटीक मुद्दे पर लिखा जाए व प्रकाशित होने के बाद लैब से बाहर समाज के काम तभी वह एक अच्छा शोध माना जाएगा।उन्होंने शोध पत्र को आकर्षक बनाने के तरीको पर जोर दिया।कार्यशाला के समापन सत्र में सभी अतिथियों व वक्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया वह सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गये व सह-आयोजन सचिव डॉक्टर बृजमोहन शर्मा ने सभी वक्ताओं का धन्यवाद प्रेषित किया।आयोजन सचिव प्रो ढींगरा तथा ने बताया कि कार्यशाला में श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय देहरादून, स्वामी, मॉडर्न इंस्टीट्यूट ऋषिकेश, एम्स ऋषिकेश, डॉल्फिन इंस्टीट्यूट देहरादून, स्वामी रामतीर्थ परिसर, बादशाहीथौल व पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश आदि से 140 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया ।
इस मौके पर विश्वविद्यालय परिसर के विभागाध्यक्ष व प्राध्यापक तथा मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी के समस्त सदस्य उपस्थित रहे।

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