भीतरघात की बंपर आशंकाओं के बीच वोट बैंक बचाने की चुनौती!

भीतरघात की बंपर आशंकाओं के बीच वोट बैंक बचाने की चुनौती!

भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में विभिषणों की भरमार

जातीय समीकरणों पर भी राजनीतिक पंडितों की निगाह

ऋषिकेश-आज की रात मुझे नींद नही आयेगी ,आजकी रात बड़ी गर्म हवा चलती है।



जीं हां आखिरकार वो दिन आ ही गया जिसका ना सिर्फ सियासी दलों बल्कि उत्तराखंड की आवाम को शिद्दत से इंतजार था।उम्मीद है है कि कल उत्तराखंड के विधानसभा के चुनाव के साथ ही एक नई सुबह होगी जोकि प्रदेश की प्रगति का और बेहतर मार्ग प्रश्स्त करने वाली होगी।इन सबके बीच बात यदि उत्तराखंड के रण में कूदे रणबांकुरों की करें तो मतदान से पूर्व शायद ही उनको आज की रात नींद आ पाये।सियासत की दुनिया में मतदान से पूर्व की रात को कत्ल की रात भी कहा जाता रहा है।इस एक ही रात में सेंधमारी कर राजनीति के चाणक्य अनेकों बार चुनावी बाजियां पलटते भी रहे हैं।बात यदि ऋषिकेश के महासंग्राम की करें तो यहां चुनाव से एक दिन पूर्व तक भाजपा से हैट्रिक लगा चुके प्रेमचंद अग्रवाल का सीधा मुकाबला कांग्रेस के युवा योद्वा जयेंद्र रमोला से होता दिखाई दे रहा है।इस सीधे दिख रहे मुकाबले को त्रिकोणीय अथवा चतुष्कोणीय संघर्ष का रूप देनें में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी डा राजे नेगी व उजपा प्रत्याशी कनक धनाई सफल हो पायेंगे या फिर प्रेमचंद अथवा जयेंद्र के चुनावी समीकरण बिगाड़ने और बनाने का ही फैक्टर. साबित होंगे इसपर भी राजनैतिक पंडितों की निगाहें लगी हुई हैं।लोकतंत्र का महापर्व जहां यहां भाजपा प्रत्याशी प्रेमचंद अग्रवाल की साख के लिए अग्निपरीक्षा बन चुका है वहीं यदि कांग्रेस के प्रत्याशी जयेंद्र रमोला की बात करें तो परिवर्तन के नाम पर वह लगातार जनता की नब्ज टटोलते रहें.हैं।इसमें किस हद तक वह कामयाब हो पायेंगे इसका पता तो चुनावी नतीजे ही बता पायेंगे।लेकिन जमीनी. सच्चाई यह भी है है चुनाव उन्होंने बेहद शानदार तरीके से लड़ा है यही कारण भी रहा की आसान जीत का सपना संजोए भाजपा को एण्ड समय में अपनी रणनीति में परिवर्तन कर पूरी ताकत झौकनीं पड़ी ।इसकी झलक चुनाव प्रचार के अंतिम दिन ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के शक्ति प्रदर्शन कार्यक्रम में देखा भी गया।सियासी पंडितों की बात करें तो इस चुनाव में मोदी फैक्टर और जातीय समीकरण के बजाए भीतरघात भी निर्णायक रोल निभायेगा।दोनों ही दलों में इस मर्तबा घर के विभीषणों की संख्या पिछले तमाम चुनावों के मुकाबले बहुत अधिक है।जोकि अपने राजनैतिक दुश्मन को चुनाव में चित्त करने के लिए तमाम पहरों के बावजूद सक्रिय बने रहे हैं।ऐसें में पोलिंग के दिन काफी हद तक स्थिती स्पष्ट हो सकती है।फिलहाल तो सभी की निगाहें कल होने वाले मतदान पर लगी हुई हैं।

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