महिलाओं के उत्थान और सम्मान के लिए धरातल पर हो प्रयास!

महिलाओं के उत्थान और सम्मान के लिए धरातल पर हो प्रयास!

ऋषिकेश-उत्तराखंड में चुनावी तपिश उफान पर है।नयी सरकार को लेकर तमाम सियासी दल बड़चड़ कर दावे कर रहे हैं।इसमें भाजपा और कांग्रेस के साथ उत्तराखंड के रण में पूरे लावलश्कर के साथ उतरी नई नवेली आम आदमी पार्टी भी शामिल है।उत्तराखंड में चुनाव को लेकर महिलाएं भी उत्साहित हैं।उनका मानना है कि राजनैतिक दलों को महिलाओं के हितों की और ध्यान देना होगा।



शिक्षिका रश्मि नौडियाल का कहना है कि महिलाओं के आर्थिक विकास के मुद्दे को बड़ी संख्या में बल तब मिलेगा, जब ऐसी शिक्षित लड़कियां स्वयं आगे बढ़ कर अपनी तकनीकी तथा व्यावसायिक प्रबंधन की शिक्षा का उपयोग खुद के व्यावसायिक प्रतिष्ठान में करने की कोशिश करेंगी। इसके माध्यम से समाज में एक बदलाव आएगा तथा महिलाओं का समाज के आर्थिक विकास में भी योगदान बढ़ेगा।इसके लिए राजनैतिक दलों को ठोस नीति बनाने की जरूरत है।मैत्री संस्था की अध्यक्ष कुसुम जोशी के अनुसार अब समाज में महिलाओं के आर्थिक विकास को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। महिला सशक्तिकरण की बात तो हम लंबे समय से कर रहे हैं, पर हमारे प्रदेश की तीव्र आर्थिक प्रगति के लिए अब महिलाओं के आर्थिक विकास को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है। समाज में शिक्षित महिलाओं का भी घरेलू महिलाओं की संख्या में बहुत बड़ा भाग है।विडम्बना यह भी है सरकार इस और ध्यान नही दे पा रही है।उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जो भी सरकार महिलाओं के हितों को नजरअंदाज करेगी उसकी इस बार शिकस्त तय है।उच्च शिक्षित और बुद्विजीवी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली नगमा इरफान का मानना है कि उत्तराखंड में महिला आर्थिक विकास तभी संभव है, जब सरकार की और से हर महिला को रोजगार से जोड़ने की कोशिश की जाती लेकिन अब तक ऐसा कुछ भी होता हुआ कभी दिखाई नही दिया। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण का विचार हमारे कानों में गूंजता तो रहता है, पर अभी तक इसपर ठोस कार्य नहीं हुए हैं। सही मायनों में महिला सशक्तिकरण तभी संभव है जब महिला आर्थिक विकास की ओर मजबूती से काम हो। चिकित्सा क्षेत्र सेे जुड़ी ज्योत्सना थपलियाल के अनुसार लगातार बढ़ती आर्थिक विषमता ने अमीरों और गरीबों के बीच की खाई को बहुत चौड़ा कर दिया है। आर्थिक सुधारों में महिलाओं के आर्थिक विकास को मुख्य उद्देश्य के रूप में रखा जाए।इस संदर्भ में एक विडंबना यह भी है कि उन महिलाओं को आर्थिक विकास से कैसे जोड़ा जाए, जो निम्न मध्यवर्गीय परिवार से संबंधित हैं। वे मात्र साक्षर हैं, आधुनिक रूप से शिक्षित नहीं हैं तथा उनके परिवार में आश्रितों की संख्या भी अधिक है। वर्तमान परिस्थिति में ऐसी महिलाओं की संख्या काफी है।इस पर विशेषतौर पर उत्तराखंड के सभी राजनैतिक दलों को गंभीरतापूर्वक चिंतन की जरूरत है।

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