मोमोज के प्रति बच्चों में बड़ते क्रेज से शिक्षण संस्थाएं चितिंत!

मोमोज के प्रति बच्चों में बड़ते क्रेज से शिक्षण संस्थाएं भी चितिंत!

ऋषिकेश-आजकल तीर्थ नगरी के गली मोहल्लो पर सिल्वर के स्ट्रीमर में उबलते हुए मोमोज तीखी लाल मिर्च की चटनी के साथ खाते हुए युवा किशोर आपको भारी संख्या में दिख जाऐंगे।चिंता की बात यह है कि चटखारे लगाकर मोमोज खाने वाले यूथ यह नहीं जानते कि वह मोमोज खा कर अपने स्वास्थ्य को किस हद तक बर्बाद कर रहे हैं। फास्ट फूड के साथ-साथ मोमोज के प्रति बड़ते क्रेज को लेकर शहर की शिक्षण संस्थाएं भी चिंतित हैं।


ऋषिकेश इंटरनेशनल स्कूल के सचिव कैप्टन सुमंत डंग ने बताया कि स्कूल प्रबंधन के द्वारा समय-समय पर हेल्दी फूड के बारे में बच्चों एवं उनके अभिभावकों को लगातार गाइड किया जाता है।उन्होंने बताया कि मोमोज मैदा के बने हुए होते हैं। मैदा गेहूं का एक उत्पाद है जिसमें से प्रोटीन व फाइबर निकाल लिया जाता है। मृत स्टार्च ही शेष रहता है।उसे और अधिक चमकाने के लिए बेंजोयल पराक्साइड मिला दिया जाता है जो एक रासायनिक बिलीचर है।यह ब्लीचर शरीर में जाकर किडनी को नुकसान पहुंचाता है।ज्ञान करतार पब्लिक स्कूल के संसथापक गुरूविंदर सलूजा भी फास्ट फूड एवं मोमोज के प्रति किशोर-किशोरियों के बड़ते क्रेज से चिंतित नजर आये।उन्होंने बताया मैदे के प्रोटीन रहित होने से मोमोज की प्रकृति एसिडिक हो जाती है। यह शरीर में जाकर हड्डियों के कैल्शियम को सोख लेता है ।तीखी लाल मिर्च की चटनी उत्तेजक होती है, जिससे यौन रोग धातु रोग नपुंसकता जैसी महा भयंकर बीमारियां देश के किशोर व युवा को खोखला कर रही है। पॉली किड्स पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर वैभव सकलानी की माने तो
जीभ के स्वाद में आकर अपने स्वास्थ्य को युवा व किशोर खराब कर रहे हैं।मोमोज पूर्वी एशियाई देशों चीन तिब्बत का खाना है।भारत की गर्म जलवायु के यह बिल्कुलअनुकूल नहीं है।

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