लोकपर्व इगास पर अवकाश की घोषणा स्वागतयोग्य कदम!

लोकपर्व इगास पर अवकाश की घोषणा स्वागतयोग्य कदम!
ऋषिकेश-उत्तराखंड सरकार द्वारा लोक पर्व इगास पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा का गढ संस्कृति के उत्थान में प्रयत्नशील विभिन्न संगठनों ने स्वागत किया है।
अतंर्राष्ट्रीय गढवाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह
नेगी ने कहा कि महासभा की ओर से पिछले कई वर्षों से
बूढ़ी दीवाली यानी इगास पर्व पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की जाती रही है।देर से सही लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा उठाया गया यह स्वागत योग्य कदम है।मैत्री संस्था की अध्यक्ष कुसुम जोशी ने इगास पर्व पर अवकाश घोषित करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति के संरक्षण से जुड़ा हुआ निर्णय है।इससे हमारे प्रवासी समाज के लोग भी लोक पर्वों से जुड़ेंगे। शिक्षाविद व गढ भूमि लोक संस्कृति संरक्षण समिति से जुड़े डॉ सुनील दत्त थपलियाल ने बताया कि महान उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़े लोकपर्व इगास पर अवकाश घोषित कर प्रदेश सरकार ने प्रदेश वासियों को नायाब तौहफा दिया है।इससे लोक संस्कृति और लोक पर्वों को निश्चित ही बड़ावा मिलेगा।बताते चले कि
उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है। दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं। पहाड़ की लोकसंस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। साथ ही गाय व बैलों की पूजा की जाती है। शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में नृत्य के साथ भैलो खेला जाता है। भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है।