स्मार्ट होते शहर की सड़के दे रही हैं गहरे जख्म!

स्मार्ट होते शहर की सड़के दे रही हैं गहरे जख्म!

ऋषिकेश- बाबूजी धीरे चलना, राह में जरा संभलना…बड़े धोखे हैं इस राह में। वर्ष 1954 में आई बालीवुड फिल्म आर-पार के इस चर्चित गीत के बोल मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे थे। तब उन्हें भी क्या पता था कि ऋषिकेश की सड़कों के हाल पर ये शब्द इतना मुफीद बैठेंगे। जी हां, पिछले कुछ समय से शहर की सड़कों पर गहरे गड्ढों के रूप में ‘बड़े धोखे’ हैं। घटिया निर्माण इसका सबब बना तो कहीं जल निकासी न होना सबसे बड़ी मुश्किल के रूप में सामने आई। इस पर शहर भर में हुई बेतरतीब खुदाई ने रही-सही कसर पूरी कर दी। वजह, सड़क बनाने के नाम पर कई जगह बस खानापूरी हुई तो कुछ जगह सालों से सड़क अधूरी पड़ी है। खास बात कि ये सड़कें स्मार्ट होते शहर की हैं।



शहर की किसी भी प्रमुख सड़क पर नजर दोड़ाओ आपको सिर्फ गड्ढे ही नजर आयेंगे।मामला सिर्फ वीआईपी और राष्ट्रीय मार्गों तक ही सीमित नही है शहर की गलियों की भी हालत कोई जुदा नही है फिर चाहे बात मनिराम मार्ग और उससे सटे अद्वेतानंद मार्ग की हो या फिर तिलक मार्ग को जोड़ने वाली सम्पर्क गलियों की सभी जगह गड्ढों ने राहगीरों की मुश्किलें बड़ा रखी हैं।ऐसा नही है कि शहर की खस्ताहाल सड़कों को दुरुस्त कराने के लिए जनप्रतिनिधियों ने कोशिश नही की लेकिन सच्चाई यह भी है कि ट्रिपल इंजन की सरकार में तमाम कोशिशों के बावजूद सड़कों की स्थिति में कोई खास सुधार होता हुआ भी नजर नही आया।ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि शहर की जीर्णशीर्ण सड़कों पर जिम्मेदार अधिकारियों की नजरें कब इनायत होंगी।

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