एक अदद पार्किंग स्थल के लिए तरस रही है तीर्थ नगरी!

एक अदद पार्किंग स्थल के लिए तरस रही है तीर्थ नगरी!
ऋषिकेश-तीर्थ नगरी ऋषिकेश में वाहनों की पार्किंग का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। अतंर्राष्ट्रीय ख्याई प्राप्त धार्मिक एवं पर्यटन नगरी ऋषिकेश वर्षों से एक अदद पार्किंग के लिए तरस रही है।पिछले दो दशक में देवभूमि
में गाड़ियों की संख्या में तो लगातार इजाफा हुआ है, लेकिन पार्किंग स्थल एक भी ना बन सका।परिणाम यह है कि गाड़ी खड़ी करने को लेकर आए दिन लड़ाई-झगड़ों की खबरें आ रही हैं।
इस समस्या को लेकर शहर के युवाओं का मानना है कि शासन -प्रशासन की उदासीनता की वजह से पार्किंग की समस्या ने विकराल रूप लिया है।व्यापार सभा के कोषाध्यक्ष ललित जिंदल ने कहा कि शहर में पड़ोसी राज्यों से हजारों पर्यटक अपने नीजि वाहनों से रोजाना यहां आते हैं। इन्हें भी आखिरकार कहीं न कहीं जगह चाहिए। यही वजह है कि सड़क से लेकर बाजार तक चारों ओर बुरा हाल है। परेशानी का सबब यह भी है कि इस समस्या का कोई समाधान दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता।फल एवं सब्जी थोक विक्रेता संघ के महासचिव गिरीश छाबड़ा का कहना है अब समय आ चुका है कि ऋषिकेश में पार्किंग की समस्या से निजात दिलाने के लिए कुछ ठोस उपाय किए जाने जायें। इसमें से एक सुझाव है कि जो लोग वाहन खरीदेंगे, उन्हें यह सुबूत देना होगा कि उनके पास पार्किंग के लिए जगह है। यदि इस सुझाव पर मुस्तैदी से अमल किया जाए तो संभव है कि निजी वाहनों की संख्या में कुछ कमी आए। लेकिन ऐसा होने तक, सरकारी एजेंसियों को भी चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा संख्या में पार्किंग स्थलों को विकसित करें। युवा व्यवसायी मानव जोहर के अनुसार प्रशासन को हरिद्वार की तर्ज पर यहां चन्द्रभागा पुल पर पार्किंग का निर्माण कराना चाहिए ताकि आम लोग चालानी कार्रवाई से बच सके। ट्रैफिक पुलिस द्वारा रोजाना की जाने वाली कार्रवाई से भले ही शासन को राजस्व बढ़ाने में फायदा मिल रहा हो, लेकिन कार्रवाई के बाद आम आदमी ट्रैफिक पुलिस को कोसता ही नजर आता है। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस को पहले शहर में पार्किंग के लिए वाहनों को जगह सुनिश्चित करानी चाहिए। उसके बाद चालान व जुर्माने की कार्रवाई करनी चाहिए।