पश्चिम देशों के राष्ट्रवाद और भारत के राष्ट्रवाद में भिन्नता – मनमोहन वैद्य

पश्चिम देशों के राष्ट्रवाद और भारत के राष्ट्रवाद में भिन्नता – मनमोहन वैद्य
ऋषिकेश- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि पश्चिम देशों के राष्ट्रवाद और भारत के राष्ट्रवाद में भिन्नता है, भारत का राष्ट्रवाद आध्यात्मिकता एवं संस्कृति पर आधारित अखिल भारतीय राष्ट्रवाद है। जबकि पश्चिम का राष्ट्रवाद मात्र अपने देश के लिए राष्ट्रवाद कहलाता है,जिस के अंतर को हमें समझना होगा।
यह विचार मनमोहन वैद्य ने आज भरत मंदिर इंटर कॉलेज ऋषिकेश के प्रांगण में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा देश में किए जा रहे कार्य को अब 96 वर्ष होने जा रहे हैं। जिसने अपने कार्य के दम पर भारत ही नहीं पूरे विश्व में एक पहचान बनाई है ,जोकि विभिन्न क्षेत्रों में 40 से अधिक संगठनों के माध्यम से सेवा के कार्यों में कार्यरत है। संघ की पहचान भी सेवा कार्यों के कारण बनी है। आज दुनिया के लोग भी भारत को आध्यात्मिकता की दृष्टि से देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने 96 वर्ष की यात्रा में संगठन के माध्यम से विभिन्न आयामों को छुआ है, जिसके कारण आज पूरे विश्व में संघ की चर्चा परिचर्चा सकारात्मक भाव से होती है ,और यह स्थिति संघ के सकारात्मक क्रियाकलापों से ही निर्मित हुई है। उन्होंने संघ के सभी स्वयंसेवकों को अपने उद्बोधन में कहा कि संघ का मूल कार्य शाखा है, जहां एक घंटे की शाखा से परिवर्तन के नए आयामों को गढ़ने की कला आती है । अच्छे व देशभक्त व्यक्ति का निर्माण ही सर्वश्रेष्ठ रचनात्मक कार्य है , और इसका माध्यम है दैनिक शाखा। शाखा के नियमपूर्वक चलने वाले कार्यक्रम का संस्कार मन पर पड़ता है और धीरे-धीरे वह स्वभाव बन जाता है । कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक महेंद्र,उत्तराखंड के प्रांत प्रचारक,युद्धवीर,जगदीश,धनीराम,चिरंजीव, भूपेंद्र, भारत भूषण कुंदनानी, सुदामा सिंघल , विपिन कर्णवाल सहित काफी संख्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक उपस्थित थे ।