जिसे समझ रहे थे बच्चा,वही दे गया गच्चा!

जिसे समझ रहे थे बच्चा,वही दे गया गच्चा!
ऋषिकेश-ग्रामसभा खदरी में गुलदार की शरणस्थली बना गुलजार फार्म पिछले कुछ वर्षों से वन्यजीवों से गुलजार रहा है।लगातार गुलदार की आमद से परेशान जनता ने वनक्षेत्राधिकारी ऋषिकेश एम एस रावत से सुरक्षा की गुहार लगाई तो वन विभाग ने गुलदार को पकड़ने के प्रयास तेज कर दिए।बीती 17 सितम्बर को एक मादा गुलदार पिंजरे में कैद होगयी साथ ही तीन दिन बाद वन विभाग की सक्रियता और ग्रामीणों की सजगता से एक गुलदार शावक को सुरक्षित पकड़ लिया गया।तब से लगातार शावकों की धरपकड़ को अभियान जारी है।गुलजार फार्म में ज्ञान सिंह के घर के समीप धान के खेत मे सरसराहट की आवाज महसूस हुई,पलट कर देखा तो दो गुलदार शावक चहलकदमी कर रहे थे जो शोर सुनते ही धान खेत में घुस गए।उनके पड़ोसी बबलू चौहान ने वन्यजीव प्रेमी जिला गंगा सुरक्षा समिति के नामित सदस्य विनोद जुगलान को गुलदार शावकों की आमद की सूचना दी।तत्काल सूचना वनबीट अधिकारी राजेश बहुगुणा को दी गयी।सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर जाल लेकर पहुँची तब तक स्थानीय ग्रामीण शावकों की निगरानी बनाये हुए थे।मौके पर टीम के पहुंचते ही गुलदार शावक को तीन तरफ से घेर लिया गया।
रेस्क्यू टीम सहित ग्रामीणों ने दो शावकों के होने की पुष्टि की जिनमें एक कहीं छिप गया दूसरे को छोटा बच्चा समझकर जैसे ही जाल बिछाया गया।नन्हा शावक फुर्ती के साथ गुर्राता हुआ उछलकर गच्चा दे गया।वह पास में ही झाड़ियों में जा छिपा।वन्यजीव प्रेमी विनोद जुगलान का कहना है कि बच्चे बिल्कुल स्वस्थ्य लग रहे हैं और उन्होंने गुलजार फार्म और आसपास के खेतों को अपना प्राकृतिक सुवास मान लिया है।क्योंकि उनकी माँ मादा गुलदार यहीं से पकड़ी गई थी इसलिए वे इसी क्षेत्र में अपनी आमद बनाये हुए हैं।वन क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश एम एस रावत ने बताया कि शावकों की हलचल को कैमरा ट्रैपिंग का प्रबंध किया जा रहा है।रेस्क्यू टीम में वन दरोगा स्वयम्बर दत्त कण्डवाल,वन बीट अधिकारी राजेश बहुगुणा,वन आरक्षी दीपक कैंतुरा,राज बहादुर, वनकर्मी मनोज कुमार,सुरेश कुमार,सूरज कुमार,आनंद सिंह,मोहित कुमार,शिवा कुमार,जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान,पूर्व ग्राम प्रधान सरोप सिंह पुण्डीर,स्थानीय सूर्या चौहान,सुग्रीव द्विवेदी,बबलू चौहान,विपिन चौधरी,नवीन सिंह,पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य पवन पाण्डेय,वन्यजीव प्रेमी त्रिकांश शर्मा आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।