बेटियों को सशक्त बनाने के लिये शिक्षा बेहद जरूरी

बेटियों को सशक्त बनाने के लिये शिक्षा बेहद जरूरी
ऋषिकेश- बेटियों को शिक्षित बनाने के लिए देशभर में मुहिम चल रही है।लैंगिक समानता को लेकर भी लगातार आवाजें उठती रही हैं।यह दीगर बात है कि समाज का एक वर्ग अभी भी दकियानूसी मानसिकता का त्याग करने को तैयार नही है।
तीर्थ नगरी में भी विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से इस दिशा में लगातार जन जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।हांलाकि जमीनी धरातल पर अभी भी बहुत किया जाना आवश्यक है।बेटी पढ़ाओ बेटी बचाव अभियान की संयोजिका सरोज डिमरी कहना है कि शिक्षा हमें आत्मनिर्भर बनाती है और संस्कार हमें जीवन को जीने का मार्ग दिखाते हैं। बालिकाओं के विरूद्ध हो रही लिंग आधारित हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि लैंगिक समानता और विपरीत लिंग के प्रति सम्मान की भावना से काफी हद तक लिंग आधारित हिंसा को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि बेटे और बेटियां दोनों को ही समान शिक्षा, समान अधिकार और समान भविष्य देना होगा। समाजसेविका मैती संस्था की अध्यक्ष कुसुम जोशी के अनुसार बेटियों को सशक्त बनाने के लिये शिक्षा जरूरी है परन्तु उनके अन्दर आत्मविश्वास पैदा करने के लिये समानता का व्यवहार करना नितांत आवश्यक है। बेटियों को जन्म के साथ ही लिंग आधारित असमानताओं का सामना करना पड़ता है जिससे उनकी गरिमा को ठेस पहुंचती है और वे अपने आत्मविश्वास को खोने लगती हैं इसलिये लैंगिक समानता हेतु सकारात्मक सामाजिक बदलाव जरूरी है। कहा कि, बेटियां या महिलायें परिवार पर बोझ या जिम्मेदारी नहीं हैं, उन्हें शिक्षित कीजिये और आगे बढ़ने के अवसर दीजिये। बेटियों और बेटों को पहले शिक्षा और फिर शादी व बच्चों की जिम्मेदारी सौंपे। साथ ही विवाह में दहेज देना व लेना, एक सामाजिक बुराई है जिसेे बढ़ावा न दिया जाये, जो कि भविष्य में बेटियों को खतरे में डाल सकती है।