देश को एक सूत्र में पिरोती है मातृभाषा हिंदी!

देश को एक सूत्र में पिरोती है मातृभाषा हिंदी!

ऋषिकेश-देश में इन दिनों हिंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है।लेकिन वर्ष में एक दिन या फिर एक पखवाड़ा मनाने से हिंदी को वह दर्जा नहीं मिल सकेगा जो उसे मिलना चाहिए।



शिक्षाविद डॉ सुनील दत्त थपलियाल का कहना है कि हिंदी भाषा हमें स्नेह, ममता, प्रेम, करुणा और प्यार करना सिखाती है। पूरे परिवार, समाज को एक कड़ी में बांधकर रखना सिखाती है। हम आज दिनचर्या में भी अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, जो देशहित में नहीं है।हिंदी भाषा अच्छी तरह बोलने और लिखने वालों की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही है जोकि बेहद चिंतनीय है। हरिपुर कला निवासी समाजसेवी डॉ राजे सिंह नेगी का हम पचास भाषाएं सीखें अच्छी बात है, लेकिन हमें मातृभाषा को अधिक प्यार करना चाहिए। भारत वर्ष को आजाद कराने में हिंदी की अहम भूमिका रही। हिंदी सिर्फ भाषा नहीं संस्कृति भी है। हमें उसका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने हरिपुर के अंतर्गत स्थित सत्यमित्रानंद इंटरमीडिएट कॉलेज में हाईस्कूल के प्रश्चात हिंदी विषय ही ना होने को बेहद दुभाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इसपर विधालय प्रशासन को शीघ्रता के साथ संज्ञान लेने की आवश्यकता है। शहर के प्रतिष्ठित युवा व्यवसाई मानव जौहर की मानें तो आज आर्थिक और तकनीकी विकास के साथ-साथ हिंदी भाषा अपने महत्व को खोती चली जा रही है। आज हम सफलता पाने के लिए अंग्रेजी भाषा सीखना और बोलना चाहते हैं।अंग्रेजी विद्यालयों में हिंदी का विशेष महत्व नहीं है। इसकी वजह से बच्चे हिंदी की अहमियत को अच्छे से समझ नहीं पाते। इसी कारण हिंदी भाषा हमारे समाज से धीरे-धीरे गायब होती जा रही है।

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