अदालती थ्रिलर-मिस्ट्री का एक्सपेरिमेंट है “चेहरे”

अदालती थ्रिलर-मिस्ट्री का शानदार एक्सपेरिमेंट है “चेहरे”

ऋषिकेश- बॉलीवुड नए एक्सपेरिमेंट के दौर से गुजर रहा है। महानायक अमिताभ बच्चन के शानदार अभिनय से सजी चेहरे मूवी भी इसी श्रंखला को आगे बढ़ाती है।दो बड़े सितारों वाली फिल्म लंबे समय बाद थिएटरों में है।अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी के फैन्स को यह फिल्म मजा जरूर देगी।


असली अदालती मामलों में भले ही तारीख पर तारीख मिलती है मगर फिल्मों में दो-ढाई घंटे में ही काम तमाम हो जाता है।यही मजा भी है।थिएटरों में सिनेमा की वापसी हो चुकी है और अक्सर रूमानी-कॉमिक फिल्में लिखने वाले रूमी जाफरी चेहरे फिल्म के जरिए बतौर निर्देशक कसी हुई थ्रिलर-मिस्ट्री लाए हैं।अदालतें नाटकीयता से भरपूर होती हैं और इस फिल्म में अदालत का नाटक है, जो असल से कम नहीं लगता।न्याय की दुनिया के कुछ रिटायर्ड बूढ़े अपनी हर शाम एक घर में इकट्ठा होते हैं और वहां कोई केस बनाकर अपनी अदालत लगाते हैं।इसी के ताने बाने पर फिल्म बुनी गई है।चेहरे एक रोचक कहानी है लेकिन इसमें ड्रामे का हिस्सा कम है। अधिकतर बातचीत चलती है। खास तौर पर पहले हिस्से में। दूसरे में जरूर अदालती खेल की जिरह शुरू होती है और कुछ बातें खुलती हैं तो रोमांच बढ़ता है।मगर अंत में फिल्म न्याय व्यवस्था को लेकर अपनी राय जाहिर करते हुए पूरी तरह अमिताभ बच्चन के हाथों में आ जाती है, जहां वह 10-12 मिनट लंबा संवाद अकेले बोलते हुए भावनाओं का ज्वार पैदा करने की कोशिश करते हैं।परफॉरमेंस के स्तर पर अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी दोनों बढ़िया हैं।उनके किरदारों में अलग-अलग शेड्स नजर आते हैं। दोनों अपने किरदारों से भावनात्मक अपील पैदा करते हैं। अन्नू कपूर, रघुवीर यादव, धृतिमान चटर्जी के रोल रोचक हैं।रिया चक्रवर्ती की भूमिका छोटी है लेकिन इमरान हाशमी के साथ दो-एक जगह वह असर छोड़ती है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर क्या कमाल दिखाएगी इसके लिए अगले कुछ दिन इंतजार करना पड़ेगा।

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