संत समिति ने की सरकार से देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांंग

संत समिति ने की सरकार से देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांंग

ऋषिकेश- प्राचीन सोमेश्वर महादेव मंदिर में संत समिति रजिस्टर्ड ऋषिकेश द्वारा बैठक कर उत्तराखंड सरकार से देवस्थानम बोर्ड को अविलंब समाप्त कर चार धाम तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारियों के अधिकारों को बहाल करने की मांग की ।


बैठक को संबोधित करते हुए संत समिति ऋषिकेश अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत ने कहा कि वर्तमान सरकार ने हजारों वर्षों से चली आ रही महान सनातन परंपरा के विरुद्ध जाकर देवस्थानम बोर्ड की स्थापना करके चार धाम तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारियों के अधिकारों को समाप्त करने का प्रयास किया है जो कभी भी सफल नहीं होने दिया जाएगा। महंत सारस्वत ने कहा कि उत्तराखंड राज्य की आर्थिकी चारों धामों के चलते ही है उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों की कई पीढ़ियों द्वारा पूरे भारतवर्ष में भ्रमण कर इन तीर्थों की जानकारी देने के साथ ही प्रचार प्रचार कर राज्य के हित में अद्भुत कार्य किया है ।वर्तमान सरकार देवस्थानम अधिनियम के द्वारा तीर्थ पुरोहितों के अधिकारों को समाप्त कर उनके निजी संपत्ति के साथ ही धार्मिक स्थानों पर भी बुरी नजर रखते हुए उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करने का कुत्सित प्रयास कर रही है जिसमें वह कभी भी सफल नहीं होगी। बैठक को संबोधित करते हुए संत समिति के महामंत्री महंत रामेश्वर गिरी ने कहा कि धर्म की रक्षा करने की बातें करने वाली सरकार पुरातन संस्कृति को नष्ट कर धार्मिक स्थानों एवं संपत्तियों का सरकारी करण करने का जो प्रयास है वह भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है ।आज सरकार मुगलकालीन समय का इतिहास दोहराने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के संत महापुरुषों को संगठित कर संत समिति तीर्थ पुरोहितों के अधिकारों की इन पवित्र मांगो के लिए हर संभव साथ देंगे बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया था ।चार धाम तीर्थ पुरोहितों की मांगों के समर्थन में देवस्थानम अधिनियम को समाप्त करने हेतु भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदय को एक ज्ञापन प्रेषित किया जाएगा ।बैठक में महंत पूर्णानंद, महंत धर्मानंद गिरी ,महंत हरिदास, स्वामी धर्मवीर, दादूपंथी महंत विवेकानंद सरस्वती ,महंत कृष्णानंद, महंत श्रद्धा गिरी, माता महंत आनंद स्वरूप, ध्यान दास ,महंत हरेश्व री माता, महंत राकेश आनंद, सरस्वती महंत कैवल्या नंद ,माता लक्ष्मी गिरी ,महंत संध्या गिरी ,महंत धर्मदास ,महंत नित्यानंद गिरी, योगी सिद्धांत सारस्वत, महंत निर्मल दास, महंत कालिका नंद ,महानिर्वाणी महंत अखंड आनंद ,महंत नित्यानंद पुरी ,महंत इंदर गिरी, महंत सर्वेंद्र सिंह, महंत राधे पुरी, महंत कृष्णकांत, गोपाल बाबा आदि संत उपस्थित थे।

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