प्रकृति के साथ अहिंसा का व्यवहार किया जाना आवश्यक-स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज

प्रकृति के साथ अहिंसा का व्यवहार किया जाना आवश्यक-स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज

ऋषिकेश- विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण मानव और प्रकृति दोनों के लिये अनेक समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं।इससे बचने के लिए अपने विचारों व व्यवहारों में सकारात्मक परिवर्तन करना होगा।


उन्होंने कहा कि प्रकृति, प्रेरक, उत्पादक और संरक्षक भी है इसलिये प्रकृति के साथ अहिंसा का व्यवहार किया जाना नितांत आवश्यक है। बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण, प्रकृति और धरती माता दोनों के साथ मानव द्वारा की जाने वाली एक प्रकार की हिंसा ही है। यह समय प्रकृति के दोहन का नहीं बल्कि संवर्द्धन का है। प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का जरूरत के आधार पर दोहन करना होगा न कि लालच के लिये क्योंकि बढ़ता प्रदूषण चितंन का विषय है।जल, वायु, मिट्टी, ऊर्जा, वनस्पति, खनिज, जीव-जंतुओं आदि को संरक्षित करके पृथ्वी की प्राकृतिक सुंदरता और संतुलन बनाए रखा जा सकता है और इसके लिये प्रकृति के अनुकुल सादा व सादगीयुक्त जीवन पद्धति अपनानी होगी। उन्होंने कहा हमें विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाने की आवश्यकता इसलिये पड़ी क्योंकि हमारी धरती से सैकड़ों प्राणियों और पेड़ पौधे की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं इसलिये हम सभी को मिलकर उनका संरक्षण करने हेतु सिंगल यूज प्लास्टिक एवं थर्माकोल का प्रयोग करना बंद करना होता तथा अत्यधिक मात्रा में पौधों के रोपण, संरक्षण और संवर्द्धन करना होगा। स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर, सुरक्षित, सतत विकसित और उत्पादक समाज की नींव है।

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