समस्त वेद उपनिषदों का सार है श्रीमद्भगवद्गीता – डॉ संजय सिंह

समस्त वेद उपनिषदों का सार है श्रीमद्भगवद्गीता – डॉ संजय सिंह
ऋषिकेश-प.ल.मो. शर्मा परिसर श्री देव सुमन ऊत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के योग विज्ञान के द्वारा आयोजित वर्चुवल साप्ताहिक योग व्याख्यान माला में पतंजलि योगपीठ विश्वविद्यालय के योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजय सिंह ने श्रीमद्भगवद्गीता की मान्यता पूरे विश्व मे बताते हुए इसे वेद, उपनिषदों का निचोड़ बताया है।
डॉ सजय ने श्रीमद्भगवद्गीता में कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग, एवम ध्यानयोग पर विस्तार से चर्चा की। योग हिन्दू जाति की सबसे प्राचीन तथा सबसे समीचीन संपत्ति है। यही एक ऐसी विद्या है जिसमें वाद-विवाद को कहीं स्थान नहीं, यही वह एक कला है जिसकी साधना से अनेक लोग अजर-अमर होकर देह रहते ही सिद्ध-पदवी को पा गए। यह सर्वसम्मत अविसंवादि सिद्धांत है कि योग ही सर्वोत्तम मोक्षोपाय है। भवतापतापित जीवों को सर्वसंतापहर भगवान से मिलाने में योग अपनी बहिन भक्ति का प्रधान सहायक है। जिसको अंतरदृष्टि नहीं, उसके लिए शास्त्र भारभूत है। यह अंतरदृष्टि बिना योग के संभव नहीं। अत: इसमें संदेह नहीं कि भारतीय तत्वज्ञान के कोश को पाने के लिए योग की कुंजी पाना परमावश्यक है।डॉ संजय सिंह के उक्त व्यख्यान में मनीषा अग्रवाल, लक्ष्मी कैंतुरा, अभिषेक पोखरिया, मोहित भारद्वाज, नीरज पंचपुरी के साथ अनेकों जिज्ञासाओं ने प्रतिभाग किया।