श्रीमद्भागवत है पूर्ण व्यावहारिक मनोविज्ञान-डॉ मनोज रतूड़ी

श्रीमद्भागवत है पूर्ण व्यावहारिक मनोविज्ञान-डॉ मनोज रतूड़ी
ऋषिकेश-प.ल.मो. शर्मा परिसर श्री देव सुमन ऊत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के योग विज्ञान के द्वारा आयोजित वर्चुवल साप्ताहिक योग व्याख्यान माला में हिमगिरि विश्वविद्यालय के योग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज रतूड़ी ने श्रीमद्भगवद्गीता को सम्पूर्ण मनोविज्ञान का व्यवहारात्मक ग्रन्थ कहा।डॉ रतूड़ी के अनुसार श्रीमद्भगवद्गीता में समस्त समस्याओं के समाधान का सार निहित है। श्रीमद्भागवत महापुराण जहाँ एक ओर कथाओं के माध्यम से जन साधारण को परमात्मा की भक्ति की ओर आकर्षित करता है, वहीं दूसरी ओर योग के गूढ़तम रहस्यों का प्रतिपादन करते हुए उसके विविध आयामों का विवेचन करता है।
योग ब्रह्मा द्वारा निर्दिष्ट एक शाश्वत विज्ञान है, साधना पद्धति है। जो मनुष्य को सभी प्रकार के आवरणों एवं विक्षेपों से सदा के लिये मुक्त करता हुआ ऐसा विशुद्ध अंतःकरण वाला बना देता है कि परमात्मा से उसका अभिन्न सम्बन्ध स्वतः ही स्थापित हो जाता है।उक्त व्यख्यान में झलक भारद्वाज, ऐष्वर्य कपूर, क्षमा शर्मा, रीमा यादव, हिमांशु पन्त एवम संजय जोशी के साथ अनेकों जिज्ञासाओं ने प्रतिभाग किया।