नि:स्वार्थ सेवा भाव ही कामयाबी का मूल मंत्र-केवल कृष्ण लांबा

नि:स्वार्थ सेवा भाव ही कामयाबी का मूल मंत्र-केवल कृष्ण लांबा
ऋषिकेश- जैसे गुलाब को उपदेश देने की जरूरत नहीं होती, वह तो केवल अपनी खुशबू बिखेरता है। उसकी खुशबू ही उसका संदेश है। ठीक इसी तरह खूबसूरत लोग हमेशा दयावान नहीं होते, लेकिन दयावान लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं, यह सर्वविदित है।
दूसरों के प्रति नि:स्वार्थ सेवा का भाव रखना ही जीवन में कामयाबी का मूलमंत्र है। नि:स्वार्थ भाव से की गई सेवा से किसी का भी हृदय परिवर्तन किया जा सकता है।
इसी उम्दा सोच के साथ शहरवासियों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी व पंजाबी महासभा की ऋषिकेश शाखा के अध्यक्ष केवल कृष्ण लांबा।महत्वपूर्ण बात यह है कि समाज सेवा के अनगिनत कार्य वो वर्षों से बिना किसी नाम के करते आये हैं।टिहरी से ऋषिकेश आकर सफल कपड़ा व्यवसायी के तौर पर अपनी एक खास पहचान बनाने वाले के के लांबा के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने आचरण में सदैव सेवा का भाव निहित रखना चाहिए, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होते हुए कामयाबी के मार्ग पर अग्रसर हो सकें। सेवारत व्यक्ति सर्वप्रथम अपने, फिर अपने सहकर्मियों व अपने सेवायोजक के प्रति ईमानदार हो। इन स्तरों पर सेवा भाव में आई कमी मनुष्य को धीरे-धीरे पतन की ओर ले जाती है। सेवा भाव ही मनुष्य की पहचान बनाती है और उसकी मेहनत चमकाती है।उन्होंने कहा कि बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बना सकता। हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें।