कोरोना के चलते बुरी तरह से कराह रहें हैं होटल व्यवसायी!

कोरोना के चलते बुरी तरह से कराह रहें हैं होटल व्यवसायी!
ऋषिकेश- कोरोना की दूसरी लहर ने होटल इंडस्ट्री को बर्बादी की कगार पर ला खड़ा किया है।
कोरोना संक्रमण की पहले दौर के दंश से होटल व्यवसायी अभी उबर भी नहीं पाए थे कि इसकी दूसरी लहर चलने से मुसीबत ज्यादा बढ़ गई। इसका प्रभाव सामान्य कामकाज के अलावा होटल व्यवसास से जुड़े स्थानीय कारोबारियों पर सबसे अधिक पड़ा है।
उत्तराखंड की देवभूमि ऋषिकेश तीर्थाटन और पर्यटन पर पूरी तरह से निर्भर है। पर्यटन व्यवसाय पर निर्भर आर्थिकी को कोरोना से गहरी चोट पहुंची है, जिससे उबर पाने का रास्ता फिलहाल होटल व्यवासियों को नजर नहीं आ रहा। पिछले एक साल से घाटे में चल रहे होटल व्यवासियों के सामने हालात हर गुजरते दिन के साथ बदतर होते जा रहे हैं।कोरोना कर्फ्यू से खाली पड़े होटलों में पूरी तरह सन्नाटा पसरा है। इससे होटल संचालकों को लाखों का नुकसान हो रहा है।उल्लेखनीय है कि मई माह में होटल सीजन का पीक रहता था।वर्ष 2019 तक यहां के रमणीक व पर्यटन स्थलोोंं सहित राफ्टिंग के लिए पर्यटकों की चहल-कदमी से होटल गुलजार रहते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते यहां पर्यटन गतिविधियां पूरी तरह ठप पड़ गई। मार्च 2020 में कोरोना की पहली लहर चलने से यहां के होटल व्यवसासियों को बड़ा तगड़ाा नुकसान उठाना पड़ा
था।कुछ समय बाद हालात सामान्य होने से उनकी उम्मीद जाग उठी। सामान्य होते हालात के बीच इस बार देश-प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चलने से आमजन व होटल कारोबारी मुसीबत में आ गए हैं। इसमें काफी संख्या में श्रमिक काम करते हैं। होटल से जुड़े संचालक व श्रमिकों की रोजी-रोटी पर्यटन व्यवसाय से चलती है। हरिद्वार रोड़ स्थित होटल गंगा व्यूह के संचालक विजय गुल्हाटी ने बताया कि कोरोना महामारी के इस दौर में यहां का पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया है।कोरोना से लगातार चल रहे घाटे के कारण होटल व्यवसायी मुश्किल हालातों से जूझ रहे हैंं। सरकार होटल व्यवसायियों की पीड़ा को समझने के लिए तैयार नहीं है ।जबकि स्थिति यह है कि कई होटल संचालक तो स्टाफ कर्मियों को वेतन देने की स्थिति में भी नहीं है। लाखों का नुकसान झेल रहे होटल संचालकों के सामने बिजली-पानी के हजारों रुपये बकाया बिल चुकाने की समस्या खड़ी हो गई। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चलने से वह मुसीबत में आ गए हैं। इस संकट से बाहर निकलने का कोई रास्ता फिलहाल नजर नहीं आ रहा।