कोरोना से मुक्ति के लिए कात्यायनी मंदिर में हुआ यज्ञ का आयोजन

कोरोना से मुक्ति के लिए कात्यायनी मंदिर में हुआ यज्ञ का आयोजन

ऋषिकेश-वैश्विक महामारी कोरोना से पूरा देश त्रस्त है।सरकार वैक्सीनेशन और चिकित्सक रोगियों के उपचार में जुटे हुए हैं।लेकिन इसके बावजूद कोराना की दूसरी भंयकर हो चली लहर में ना तो संक्रमितो की संख्या का ग्राफ नीचे आता दिखाई दे रहा है और न ही इस महामारी की चपेट में आकर अकाल मौत का ग्रास बनने वालों का आंकड़ा ही कम होने का नाम ले रहा है।



इन सबके बीच कोरोना की समाप्ति को लेकर प्राथनाओं के दौर भी शुरू हो गये हैं। शीशमझाड़ी स्थित कात्यायनी मंदिर में कोविड नियमों का पालन करते हुए वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन यज्ञ में आहुति डालकर कोरोना के नाश की कामना की गई। मंदिर के संस्थापक गुरविंदर सलूजा ने बताया भारत में यज्ञ करने की परम्परा अनादिकाल से रही है। उन्होंने बताया कि यज्ञ करने से प्रकृति में व्याप्त नाकारात्मक शक्तियां नष्ट होती है। वहीं साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उन्होंने बताया कि वेदों ने विश्व का सबसे श्रेष्ठतम कर्म यज्ञ बताया है। जबकि हमारे संत-महात्माओं सहित आधुनिक विज्ञान ने भी इसे स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि हर औषधीय पदार्थ के परमाणु, अग्नि में प्रज्ज्वलित होकर अपने गुणों को हजारों गुणा बढ़ाकर वायु एवं वातावरण को रोगाणु मुक्त करने में सहायक हैं। पंडित सुदीप शर्मा व पंडित वेद प्रकाश कोठारी ने हवन यज्ञ समपन्न कराया।इस अवसर पर नमिता सलूजा, चेतना, निशांत,संतोष, त्रेहन आदि मोजूद रहे।

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