जीवन रक्षक दवाओं और उपकरणों का बाजार में टोटा!

जीवन रक्षक दवाओं और उपकरणों का बाजार में टोटा!
ऋषिकेश- अस्पतालों में आइसीयू, आक्सीजन और बेड की कमी झेल रहे कोरोना मरीजों की मुसीबत संक्रमण से लड़ने के लिए जरूरी साधन की किल्लत से और बढ़ गई है।ऋषिकेश के एम्स में जगह नहीं मिलने से बड़ी संख्या में कोरोना मरीज होम आइसोलेट हैं, लेकिन घर पर रहते हुए जांच व उपचार के लिए आवश्यक पल्स आक्सीमीटर, आक्सीजन कंसेंट्रेटर जैसे उपकरण बाजार में ढूंढे नहीं मिल रहे है। कुछ दवाइयों की किल्लत भी सिरदर्द बन गई है। आक्सीजन के लिए लोग इधर-उधर भाग रहे हैं। चिकित्सकीय सामग्री की कालाबाजारी भी जमकर हो रही है। होम आइसोलेट मरीजों की खाना-पानी जैसी समस्या पर भी प्रशासन की ओर से कोई सुध नहीं ली जा रही है। संक्रमण की पहली लहर के समय स्थापित और मानक बनी प्रशासनिक व्यवस्थाएं दूसरी लहर में ध्वस्त हो गई हैं। इससे आइसोलेट संक्रमित परिवारों के लिए कोरोना से लड़ाई और कठिन हो गई है। एंटीबायोटिक मिलने में हो रही मुश्किलें कोरोना संक्रमण काल में आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं व उपकरणों की किल्लत हो गई है।
मेडिकल स्टोर व एजेंसियों पर खरीद हेतु लोगों की लंबी कतारें देखने को मिल रही है। कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही जरूरी दवाओं का संकट गहराने लगा है। पल्स ऑक्सीमीटर व नेबुलाइजर बाजार से गायब हैं। फेफड़ों में वायरल निमोनिया के केस बढ़ने से नेबुलाइजर की डिमांड काफी बढ़ चुकी है। बाजार में नेबुलाइजर व उसमें पड़ने वाली दवाइयां न मिलने से मरीज और उनके तीमारदार परेशान हैं। आक्सीजन सिलिडर के ऊपर लगने वाली किट की कालाबाजारी शुरू हो गई है। विक्रेताओं की मानें तो इस समय सबसे बड़ा संकट आक्सीजन रेगुलेटर का देखने को मिल रहा है। इन सबके बीच कड़वी सच्चाई यह भी है कि पिछले वर्ष कोरानाकाल में सूरमा बनकर बड़ी बड़ी बाते करने और ढींगे हांकने वाले इस वर्ष कोरोना की दूसरी खौफनाक लहर को लेकर बुरी तरह से सहमे हुए हैं।