पृथ्वी के पैरोकार, प्रहरी और पहरेदार बनें-स्वामी चिदानन्द

पृथ्वी के पैरोकार, प्रहरी और पहरेदार बनें-स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश- विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने परमार्थ प्रागंण में रूद्राक्ष का पौधा रोपित करते हुये कहा कि पृथ्वी; धरती वास्तव में माँ की तरह बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, सभी प्राणी और हम सभी का जीवन समाहित है। यह सभी का एक रमणीय और समृद्ध घर है। पृथ्वी की सुरक्षा अर्थात सब की सुरक्षा। पृथ्वी को बचाने का आशय है पृथ्वी की रक्षा के लिये सब मिलकर ईमानदारी पूर्ण एक पहल शुरू करना और वह भी तब तक जब तक सकारात्मक परिणाम प्राप्त नहीं होते। हम पृथ्वी और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनकर ही उसकी रक्षा कर सकते हैं।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि वर्तमान समय में हम जो कर रहे हैं उससे पृथ्वी की नैसर्गिकता प्रभावित हो रही है। पृथ्वी के गर्भ से प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित रूप से दोहन किया जा रहा है उस दोहन की सीमा अब चरम पर पहुँच चुकी है। इस समय दुनिया के लोग प्रकृति द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर रहने की क्षमता को तीव्र गति से खो रहे हैं जिससे जीवन के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। सभी इन हालातों में बदलाव चाहते हैं परन्तु पृथ्वी के संरक्षण में योगदान नहीं देना चाहते हैं। हमें साँस लेने के लिये शुद्ध हवा चाहिये परन्तु हवा को शुद्ध करने हेतु वृक्षारोपण के लिये योगदान नहीं देना चाहते, हमें स्वच्छ जल चाहिये परन्तु प्रदूषित होती नदियाँ और जलस्रोतों की ओर हमारा ध्यान नहीं है। हम सब जानते हैं कि पर्यावरण को बचाने के लिये बहुत कुछ करना होगा क्योंकि पृथ्वी का अस्तित्व ही दाँव पर लगा हुआ है और उसके साथ हम सभी का जीवन भी।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि धरती है तो हम हैं और हमारा अस्तित्व है इसलिये हमें हमेशा याद रखना होगा कि पृथ्वी केवल मनुष्य के उपभोग के लिये नहीं है अतः हमें अपनी जीवनशैली और गतिविधियों में महत्त्वपूर्ण बदलाव करने होगें और उन सकारात्मक बदलावों को आत्मसात करना होगा। हमें पृथ्वी के पैरोकार, प्रहरी और पहरेदार बनकर उसे बचाना होगा। अब प्रकृति के दोहन के विषय में नहीं बल्कि संरक्षण के विषय में सोचना होगा। कहा कि पृथ्वी के संरक्षण का संकल्प लेना होगा क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग और घटतेेेे जलस्तर का जो परिदृश्य आज हमारे सामने है, वह बहुत भयावह है ।ऐसा ही रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब पृथ्वी से हमारा, जीव−जंतुओं व वनस्पति का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।