
‘श्रुति-सरिता’ आर्ट की ऑनलाइन संगीत श्रृंखला का समापन
ऋषिकेश-महान संगीतज्ञ भारत रत्न पंडित रविशंकर की 100वीं जयंती पर ‘श्रुति-सरिता’ आर्ट की ओर से ऑनलाइन संगीत श्रृंखला का समापन हो गया है। ‘श्रुति-सरिता’ आर्ट के संस्थापक व संगीतज्ञ आशीष कुकरेती ने बताया कि ऋंखला में पं.रविशंकर के तीसरी व चौथी पीढ़ी के शिष्यों ने ही संगीत प्रस्तुति दी।
शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में काम कर रही ऋषिकेश की संस्था ‘श्रुति-सरिता’ आर्ट ने महान संगीतज्ञ, संगीतकार व सितार वादक पं.रविशंकर की 100वीं जयंती पर ऑनलाइन श्रृंखला का आयोजन किया। संस्थापक आशीष कुकरेती ने बताया कि श्रृंखला के माध्यम से मैहर घराने की तीसरी और चौथी पीढ़ी के शिष्यों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रृंखला का आरम्भ 16 फरवरी को हुआ था। इसी कड़ी में 27 मार्च को पांचवी शृंखला में चौथी पीढ़ी के शिष्य पंडित बरुन कुमार पाल जी के शिष्य व ‘साधना’ संस्था के संस्थापक रमानन हंसवीणा (रमानन वेंकटरमन) ने हंसवीणा पर राग परमेश्वरी अलाप, गत और जोड़-झाले की मनमोहक प्रस्तुति दी।
ऑनलाइन श्रृंखला के आखिर में पं.रविशंकर के वरिष्ठ शिष्य पंडित बरुन कुमार पाल ने अपने गुरु को स्वरांजलि अर्पित की। 1978 में उन्होंने पंडित रवि शकर जी से दीक्षा ग्रहण की। पंडित बरुन कुमार पाल विश्वभर में हंसवीणा के प्रथम अन्वेषक व भारतीय स्लाइड गिटार के अग्रणी कलाकार और पथ प्रदर्शक हैं। पंडित बरुन कुमार पल जी ने पंडित रवि शकर जी का बनाया हुआ राग जोगेश्वरी में आलाप, गत जोड़-झाला से गुरु की स्वरांजलि दी। उनके साथ तबले पर पं.समीर चटर्जी व तानपुरा पर मौसमी बिस्वास ने संगत दी।
आशीष कुकरेती ने बताया कि ऑनलाइन श्रृंखला शुरू करने का उद्देश्य उभरते हुए कलाकारों को मंच देने के साथ उनका उत्साहवर्धन करना है। दर्शकों का अनुभव व प्रतिक्रिया हमारी उम्मीद से कहीं अधिक उत्साहवर्धक रही। भविष्य में भी इस तरह की ऑनलाइन श्रृंखला को और बेहतर व नए कलाकारों के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास जारी रहेगा।