उत्तराखंड के आंदोलन को धार देने में कविताओं की रही है महत्वपूर्ण भूमिका- डॉ राजे सिंह नेगी

उत्तराखंड के आंदोलन को धार देने में कविताओं की रही है महत्वपूर्ण भूमिका- डॉ राजे सिंह नेगी

ऋषिकेश-हर भाषा अपने आप में महान है।उनके प्रचार प्रसार में कविताएं सशक्त माध्यम रही हैं।यह कहना है लोक भाषा और लोक संस्कृति के उत्थान के लिए वर्षों से कार्य कर रहे कवि हद्वय रखने वाले गढ़वाल महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी का।




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रविवार को विश्व कविता दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि कविताएं प्राचीन काल से ही न ही सिर्फ़ मानव मन को बल्कि समाज के विभिन्न मुद्दों को कलात्मक ढंग से कहने का एक ठोस तरीका रही हैं। भारत में ऋषि-मुनियों ने काव्य व छंदों में कितनी ही बातें कहीं हैं, कितना साहित्य चौपाई और दोहे में संजोया गया है। उन्होंने कहा कि 21 मार्च का यह दिन कविता के रूप में मानव सभ्यता के भीतर मौजूद भाषाओं की विविधता का उत्सव है। कविताओं ने सदा से ही अपने समय की गवाही दी है, मानव मन के राग गाए हैं और लोगों को जोड़ने का काम किया है। कितने ही आंदोलनों से लेकर पर्वों तक कविताएं ही एक स्वर के रूप में बाहर आती हैं। उत्तराखंड के गठन में भी क्रांतिकारी लोक गीतों एवं कविताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महासभा के अध्यक्ष डॉ नेगी के अनुसार विश्व कविता दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि विश्व में कविताओं के लेखन, पठन, प्रकाशन और शिक्षण के लिए नए लेखकों को प्रोत्साहित किया जाए। इसके जरिए छोटे प्रकाशकों के उस प्रयास को भी प्रोत्साहित किया जाता है जिनका प्रकाशन कविता से संबंधित है।

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