अपनापन और उचित सलाह ही नशामुक्त समाज का बेहतर विकल्प-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

अपनापन और उचित सलाह ही नशामुक्त समाज का बेहतर विकल्प-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी , भारत के कई प्रदेशों से आये बाल संरक्षण अधिकारी, बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अन्य अधिकारियों ने भेंटवार्ता की।
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आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि हाल ही में देहरादून में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथसिंह रावत ने किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति, रोकथाम और पुनर्वास विषयों पर विचार मंथन किया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने नशीले पदार्थों का शिकार हो रहे युवाओं की बढ़ती संख्या के विषय में चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि नशा युवा मन पर हावी एक बीमारी है। नशे की लत से बाहर निकलने के लिये उन्हें परिवार और समाज की सहायता की जरूरत है। नशा करने वाले व्यक्ति को सहायता और सहानुभूति की जरूरत होती है। नशीले पदार्थो का सेवन करने वाले युवा अक्सर मानसिक तनाव से पीड़ित होते है और कई बार वे स्वयं भी इससे बाहर निकलने हेतु संघर्ष करते है ऐसे में उन्हें अपनों की और अपनों के साथ की सबसे अधिक जरूरत होती हैं।उन्होंने कहा कि नशे की लत से बाहर निकलने के लिये आत्मविश्वास और आत्मसंयम की सबसे अधिक जरूरत होती है। साथ ही बाजार में उपलब्ध अल्कोहॉल और नशीली चीजों से युक्त पदार्थों के उत्पादन पर सख्ती से रोक लगानी चाहिये। युवाओं और बच्चों को नशे से मुक्त करने तथा नशा मुक्त राष्ट्र बनाने के लिये जनजागरूकता के साथ शैक्षिक पाठ्यक्रम में नशा मुक्त विषयों को शामिल करना, शरीर पर पड़ने वाले उनके प्रभावों के बारे में बताना तथा नशे से सम्बिधित जानकारी देना अत्यंत आवश्यक है। नशा करने वाले युवाओं को नशामुक्त करने के लिये अपनापन और उचित सलाह ही विकल्प हो सकता है। आईये हम सभी मिलकर नशामुक्त राज्य के निर्माण में सहयोग प्रदान करे। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि आयोग उत्तराखंड राज्य में वर्ष 2018 से नशा मुक्त राज्य बनाने के लिये प्रयासरत है और इस क्षेत्र में निरंतररूप से कार्य किये जा रहे है ताकि युवाओं को नशे की लत से बाहर निकाला जा सके। युवाओं को नशा मुक्त करने और जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने के लिये एक सम्मिलित प्रयास की जरूरत हैं।