आवाज़ साहित्यिक संस्था ऋषिकेश के पेज पर हुआ वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राजेश्वर उनियाल की “मेरु उत्तराखंड महान ” काव्यकृति का विमोचन

आवाज़ साहित्यिक संस्था ऋषिकेश के पेज पर हुआ
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राजेश्वर उनियाल की “मेरु उत्तराखंड महान ” काव्यकृति का विमोचन

ऋषिकेश- विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर पर आवाज साहित्यिक संस्था ऋषिकेश के पेज पर मुंबई से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राजेश्वर उनियाल द्वारा रचित कृति मेरु उत्तराखंड महान का ऑनलाइन विमोचन किया गया ।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रुप में वरिष्ठ साहित्यकार लेखक प्रोफेसर राधा बल्लभ डोभाल विशिष्ट अतिथि डॉ प्रभा पंत वरिष्ठ साहित्यकार भीष्म कुकरेती कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ नंदकिशोर ढोंढियाल, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ राजेश्वर उनियाल के द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलन कर किया गया।





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इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ राधावल्लभ डोभाल ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है जहां देवता निवास करते है ।साहित्य के सृजन में इस भूमि का महत्वपूर्ण योगदान है । रामायण काल के बाल्मीकि , महाभारत काल के वेदव्यास, कालिदास जैसे महान साहित्यकारों ने अपने ग्रंथों का लेखन किया है ।अनादिकाल से लेकर आज तक का बेहतरीन वर्णन डॉ राजेश्वर उनियाल की पुस्तक मेरू उत्तराखंड महान कि कृति में संकलित है ।
विशेष अतिथि डॉ प्रभा पंत ने डॉ राजेश्वर उनियाल को एक महान साहित्यकार बताते हुए कहा कि इनका लेखन सदैव भावनाओं से जुड़ा हुआ रहा है हिंदी के साथ-साथ अपनी मातृभाषा में भी इनकी बेहतरीन पकड़ मानी जाती है।वरिष्ठ गढ़वाली साहित्यकार भीष्म कुकरेती ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि उक्त पुस्तक मेरु उत्तराखंड महान में डॉक्टर राजेश्वर होने वालों ने संपूर्ण उत्तराखंड का बेहतरीन और लाजवाब वर्णन किया है। यह पुस्तक निश्चित रूप से आने वाले समय में उत्तराखंड के प्रवासियों के लिए वरदान सिद्ध होगीकार्यक्रम अध्यक्ष डॉ नंदकिशोर ढोंढियाल ने अपने संबोधन में कहा कि साहित्य जीवन का सबसे बड़ा मित्र होता है। युवा काल से लेकर के और अंतिम समय तक एक बेहतरीन मित्र के रूप में साहित्य सहायक होता है ।डॉ राजेश्वर उनियाल की प्रशंसा करते हुए नंदकिशोर ने कहा कि इनके द्वारा लिखित पुस्तक निश्चित रूप से उत्तराखंड के लोगों के लिए एक वरदान के रूप में साबित होगी ।पुस्तक की बेहतरीन प्रशंसा करते हुए डॉ नंद किशोर ने कहा कि साहित्यकारों को अपनी आने वाली विरासत के लिए कुछ ना कुछ इस प्रकार के संदेश लिखित रूप से साहित्य के माध्यम से छोड़े जाने चाहिए जो आने वाले समय को प्रेरणा दे सके।
इस अवसर पर उत्तराखंडी लोक गायिका एवं शिक्षिका ज्योति उप्रेती सती के द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई तथा साथ ही डॉ राजेश्वर उनियाल की पुस्तिका में रचित उत्तराखंडी गीत को प्रस्तुत किया गया।पुस्तक के लेखक डॉक्टर राजेश्वर होने वालों ने संपूर्ण अतिथियों एवं दर्शकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक छोटा प्रयास है कि जो प्रवासी उत्तराखंड की पावन धरती से अन्य राज्यों या प्रदेशों में चले गए हैं उनके लिए यह पुस्तक निश्चित रूप से एक वरदान के रूप में साबित होगी यह उनका प्रयास था इस पुस्तक मै संपूर्ण उत्तराखंड की देवभूमि की स्तुति को जोड़कर लिखा गया है।कार्यक्रम के संचालक आवाज साहित्यिक संस्था ऋषिकेश के संयोजक डॉ सुनील दत्त थपलियाल ने कहा कि आवाज संस्था को यह सबसे बड़ा सौभाग्य मिला है कि ऐसे महान विभूति डॉ राजेश्वर उनियाल की पुस्तक का विमोचन का अवसर इस पेज को प्राप्त हुआ है ।आवाज साहित्यिक संस्था लगातार 11 महीने से कोरोना संकट के समय से ऑनलाइन साहित्य संस्कृति और संवाद की धाराओं को ऋषिकेश के पावन तीर्थ से संपूर्ण भारतवर्ष के साहित्यकारों उत्तराखंड देव भूमि के संस्कृति संवाहक एवं संवाद के भगीरथ को जोड़ने का कार्य कर रही है । कुंभ का पावन पवित्र पर्व चल रहा है इसलिए भी आवाज़ साहित्यिक संस्था का प्रयास है कि साहित्य के अनुष्ठान का यह कुंभ भी निश्चित रूप से ऋषिकेश की पावन नगरी से साहित्य का संदेश दे ।
विमोचन के अवसर पर प्रो. राधाबल्लभ डोभाल अध्यक्ष, उत्तराखंड विचार मंच, मुंबई अध्यक्षता डा. नंदकिशोर ढौंडियाल अरुण , पूर्व विभागाध्यक्ष- हिंदी एवं अध्यक्ष, साहित्यांचल कोटद्वार डा. प्रभा पंत , विभागाध्यक्ष – हिंदी, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, हल्द्वानी, समारोह की विशेष अतिथि भीष्म कुकरेती, उत्तराखंड की सुप्रसिद्ध लोक-गायिका श्रीमती ज्योति उप्रेती सती ,अनूप रावत आदि उपस्थित रहे।

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