पृथ्वी जैव-विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध ग्रह-स्वामी चिदानन्द

पृथ्वी जैव-विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध ग्रह-स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश-प्रतिवर्ष 2 फरवरी को पूरे विश्व में ’विश्व आर्द्रभूमि दिवस’ मनाया जाता है ताकि जनसमुदाय आर्द्रभूमि के महत्व को समझ सके। आज के दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि पृथ्वी पर जीवन के लिये, प्रकृति एवं हमारे ग्रह के लिये आर्द्रभूमि कितनी महत्वपूर्ण है ।इसके प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने हेतु विश्व आर्द्रभूमि दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है। विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 2 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मलेन के 16 वर्ष पूरे होने पर मनाया गया था। आर्द्रभूमि का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता और जल से है।विश्व वेटलैंड्स दिवस 2021 की थीम भी ’वेटलैंड्स एंड वॉटर’ रखी गयी है ताकि जनसमुदाय वेटलैंड्स के महत्व को समझे और उसे मीठे पानी के स्रोत के रूप में महत्व प्रदान करे।परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी
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चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पृथ्वी, पर्यावरण, जीवन और विकास सब एक-दूसरे से जुड़े हुये हैं परन्तु वर्तमान समय के परिवेश को देखकर ऐसा लगाता है जैसे पृथ्वी पर केवल मनुष्य का अधिकार है। मनुष्य ने अपने विकास के लिये दूसरे प्राणियों का जीवन मुश्किल में डाल दिया है तथा अनेक प्राणियों और प्रजातियों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। वास्तव में पृथ्वी पर प्रत्येक प्राणी और सभी प्रजातियों का समान अधिकार है। हमारी पृथ्वी जैव-विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध ग्रह है। अगर हम जैव-विविधता का सरंक्षण करेंगे तभी हमारा जीवन भी सुरक्षित रह सकता है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि जल वैज्ञानिक वेटलैंड्स ऐरिया को बायोलॉजिकल सुपर-मार्केट कहते है जो पारिस्थितिक तंत्र का आधार है। वेटलैंड क्षेत्र के माध्यम से ही जल की शुद्धता बनी रहती है तथा यह खाद्य पदार्थो का भी बहुत बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। कहा कि, आज पूरा विश्व वेटलैंड्स दिवस मना रहा है और इस ओर वैश्विक स्तर पर जागरूकता लाने का अथक प्रयास किया जा रहा है क्योंकि जल वैज्ञानिकों के अनुसार वर्ष 2040 तक पृथ्वी पर वर्तमान में जितना जल है उससे आधा हो जायेगा। स्वस्थ जीवन और स्वस्थ ग्रह के लिए आर्द्रभूमि और जल स्रोतों का महत्वपूर्ण योगदान हैं।
हमारे ग्रह पर लोगों का स्वास्थ्य काफी हद तक स्वस्थ आर्द्रभूमि पर निर्भर करता है। संयुक्त राष्ट्र विकास परिषद के अनुसार दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं और वर्तमान समय में वे जंगलों की तुलना में तीन गुना तेजी से लुप्त हो रही हैं। वेटलैंड्स को जीवन की नर्सरी कहा गया हैं जिसमें लगभग 40 प्रतिशत प्राणी प्रजनन करते हैं, वेटलैंड्स को पृथ्वी के गुर्दे भी कहा जाता हैं जो कि वातावरण में पाये जाने वाले प्रदूषकों को साफ करते हैं तथा वेटलैंड्स दुनिया के लगभग एक अरब लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं।