कानून के रखवालों की आंखों के सामने ही रोजाना टूटते हैं ‘ कानून’

कानून के रखवालों की आंखों के सामने ही रोजाना टूटते हैं ‘ कानून’
ऋषिकेश -एक सवाल शहरवासियों से, क्या कभी आपने सोचा कि शहर में जाम क्यों लगता है। हम आपको बताते हैं कि क्यों लगता है जाम। दरअसल, इस जाम के झाम के ‘जिम्मेदार’ और कोई नहीं, बल्कि जिम्मेदार ही हैं।शहर में कानून बनते हैं और फिर उन्हें कानून के रखवालों की आखें तले ही ठेंगा दिखा दिया जाता है। व्यवस्था पर इंप्लीमेंट ना हो पाने की वैसे धर्मनगरी ऋषिकेश की यातायात व्यवस्था मैं सुधर नहीं पा रहाा। खासतौर पर जीरो जोन व्यवस्था हरिद्वार रोड पर लागू नहीं हो पा रही है।
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शहर केे तमाम मार्गो में सबसे ज्यादा लापरवाह रवैय्या आटो चालकों का ही दिखता है। इन्हीं की वजह से तीर्थ नगरी के सभी प्रमुख मार्गों में सुबह से लेकर शाम तक जाम ही लगा रहता है। अभियान चलाने पर कुछ दिन तक सुधार दिखता है, उसके बाद फिर से हालात जस के तस हो जाते हैं।उधर यात्रा बस अड्डे के बाहर सुबह से विभिन्न परिवहन संस्थाओं की बसों की लंबी कतार लगी रहती है। बार-बार शिकायत के बाद भी सड़क पर बसें खड़ी कराने का सिलसिला थम नहीं रहा है। ये बसें ही जाम का मुख्य कारण बनती हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर जगह जगह फल विक्रेता सड़क किनारे ही ठेला खड़ा करके जाम का कारण बन रहे हैं।ऐसे में बड़ा सवाल बस यही है कि ऋषिकेश को आखिरकार ट्रेफिक जाम से कब मुक्ति मिलेगी।