यातायात नियमों के पालन से ही थमेंगे सड़क हादसे-अंकुर टक्कर

यातायात नियमों के पालन से ही थमेंगे सड़क हादसे-अंकुर टक्कर

ऋषिकेश -मुम्बई की तरह तीर्थ नगरी भी हादसों के शहर के रूप मे तब्दील होती जा रही है।शहर की सड़के आयेदिन सड़क हादसों मे खून से लाल हो रही हैं।इन हादसों पर शहर का प्रशासन संवेदनहीन बना हुआ है।इससे सबक लेकर हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम न उठा पाना प्रशासनिक अदूरदर्शिता की और साफ इशारा कर रहा है। जबकि पिछले वर्ष सड़क दुघर्टनाओ के बड़ते ग्राफ के बीच अनेको घरों के चिराग अकाल मोत का ग्रास बने हैं।
धर्म नगरी भी मुम्बई की तर्ज पर हादसों के शहर के रुप मे तब्दील होती जा रही है।सड़क दुघर्टनाओ मे खून से आये दिन लाल हो रही सड़कों के बावजूद यहाँ प्रशासन संवेदनहीन बना हुआ है।हेलमेट अभियान को लागू करने मे नाकाम रहा स्थानीय प्रशासन यातायात नियमों का अनुपालन कराने मे भी बुरी तरह से फ्लाप साबित होता रहा है।नतीजतन, वाहनों की रफ्तार पर नियंत्रण न होने की वजह से नगर मे सड़क दुघर्टनाओ का ग्राफ हर गुजरते वर्ष के साथ नीचे आने के बजाय लगातार बड़ता जा रहा है।दुर्भाग्यपूर्ण बात यह भी है कि नगर एवं यहाँ से सटे ग्रामीण इलाकों मे हुए सड़क हादसों मे करीब अस्सी फीसदी स्कूल -कालेज के छात्र अकाल मोत का ग्रास बने हैं।





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नगर के युवा समाजसेवी अंकुर टक्कर का कहना है कि अधिकांश सड़क दुघर्टनाओ मे लापरवाही से की गई ड्राइविंग ही मुख्य वजह साबित होती रही है।हालांकि वह यह भी मानते हैं कि बेकाबू रफ्तार के साथ सड़कों पर बड़ता ट्रेफिक भी हादसों की मुख्य वजह है।उन्होंने बताया कि नगर मे हरिद्वार रोड़,देहरादून रोड़,लक्ष्मण झूला मार्ग पर सबसे ज्यादा सड़क हादसे देखने को मिलते रहे हैं।जबकि ग्रामीण क्षेत्रों मे श्यामपुर रेलवे फाटक से रायवाला के मध्य और ऋषिकेश -देहरादून मार्ग पर रानी पोखरी से पहले सात मोड़ पर सबसे ज्यादा सड़क हादसों मे सड़कें खून से लाल होती रही हैं।अधिकांश हादसों मे हैड इंजरी ही हादसों का शिकार हुए लोगों जिनमें अधिकाश युवा थे जोकि अकाल मोत का ग्रास बने।उन्होंने बताया कि यदि शहर में प्रशासन हेलमेट की अनिवार्यता लागू कराने में कामयाब हो पाता तो कई जिंदगियों को बचाया जा सकता था।

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