देशभक्ति और अद्भुत शक्ति का संगम थे नेताजी-स्वामी चिदानन्द

देशभक्ति और अद्भुत शक्ति का संगम थे नेताजी-स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश- महान राष्ट्रवादी और देशभक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय इतिहास के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। आज पूरा भारत उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है। नेताजी के जीवन पर स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का बहुत प्रभाव था ऊनके साहित्य से प्रेरित होकर ही नेताजी उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु तथा चितरंजन दास को राजनीतिक गुरु मानते थे। ‘जय हिंद’ जैसे अनेक प्रसिद्ध नारे देकर नेताजी ने भारतीयों की आत्मा को झकझोरा था, ऐसे महान क्रान्तिकारी को भावभीनी श्रद्धांजलि।
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परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारत के एक अनमोल रत्न थे और सदा रहेंगे। भारत के ऐसे अनमोल रत्न को उनकी 125 वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर भारत सरकार द्वारा ’’भारत रत्न’’ से सुशोभित किया जाये तो हर भारतीय को अपार प्रसन्नता होगी। साथ ही नेताजी के मौत के सभी रहस्यों पर से पर्दा भी उठाया जाये ताकि पूरे राष्ट्र को अपने चहेते नेताजी जी की मौत के बारे में जानकारी मिल सके। यह उनके लिये हम सभी की ओर से श्रद्धाजंलि होगी।
स्वामी चिदानंद ने प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी और भारत सरकार का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती वास्तव में एक ‘पराक्रम दिवस’ है। ’’आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के हृदय में अपनी मातृभूमि के प्रति अगाध श्रद्धा और प्रेम था उनके इन शब्दों में उस प्रेम के साक्षात दर्शन होते है ‘‘हमारी मातृभूमि स्वतन्त्रता की खोज में है। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा। यह स्वतन्त्रता की देवी की माँग है।’’ राष्ट्रीयता की भावना के प्रसार एवं स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने में सुभाष चंद्र बोस जी ने बहुमूल्य योगदान दिया। भारत और भारतीय सदैव उनके प्रयत्नों के लिये आभारी रहेंगे।