महान उत्तराखंडी संस्कृति की पहचान रहा है’ दाल भात’- डॉ सुनील दत्त थपलियाल

महान उत्तराखंडी संस्कृति की पहचान रहा है’ दाल भात’- डॉ सुनील दत्त थपलियाल
ऋषिकेश-दाल-भात का उत्तराखंड ग्रामीण संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। कार्य कोई भी ही जैसे नामकरण, जनेव, शादी, मुंडन संस्कार, बरसी सभी में दाल-भात मुख्य भोजन होता है ।यह परमपरा दशकों से चली आ रही है। विभिन्न मंचों के माध्यम से गढ संस्कृति की महान विरासत को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे आवाज संस्था से जुड़े शिक्षाविद डॉ सुनील दत्त थपलियाल ने बताया कि कार्ड से निमंत्रण देने की परम्परा अभी एक दशक पहले ही उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में शुरु हुई है। इससे पहले लोगों के घरों में जाकर निमंत्रण दिया जाता था।लेकिन पुराने समय में निमंत्रण देने के लिये एक व्यक्ति गांव के सबसे ऊंचे हिस्से पर जाता और वहाँ से आवाज लगाता कि अमुक दिन फलाने के लड़के या लड़की की शादी है या अन्य कोई कार्यक्रम है।आवाज लगाने वाले व्यक्ति को अगर गांव में सभी लोगों को सपरिवार निमंत्रण देना होता तो वह कहता कि सभी को ‘चूल्हा न्युत’ है ।वहीं अगर इसे परिवार के एक ही सदस्य के लिये निमंत्रण देना होता तो कहता ‘मौ आदिम’ को भात खाने का निमंत्रण है।
banner for public:Mayor
डा थपलियाल के अनुसार दाल-भात के आयोजन में लकड़ी, भांड़े-बर्तन पानी इत्यादि का प्रबंध पूरा गांव मिलकर करता था।खाना पकाने से लेकर खाना खाने तक के नियम कायदे हुआ करते थे।इन अलिखित नियमों का कठोरता से पालन किया जाता रहा है।उन्होंने बताया कि दाल-भात केवल विशेष पण्डित ही बना सकते हैं। कुछ हिस्सों में इसे सरोल पण्डित कहते हैं।चूल्हे के पास जाने का अधिकार केवल सरोल पण्डित को ही होता है।डा थपलियाल बताते हैं कि सामूहिक भोज मजबूत ग्रामीण समाज की नींव रखता है।इसकी सबसे बड़ी कमी इसमें किया जाने वाला जातीय भेदभाव है।धीरे धीरे गांव में भी शहरी संस्कृति आने व पलायन के कारण के पंगत में भोजन का चलन अब उत्तराखंड के ग्रामीण समाज में कम हो गया हो लेकिन जातीय भेदभाव जस का तस है। जिसे बदलने की जरूरत है ।उन्होंने जानकारी दी कि बदलते दौर के बीच शहरी संस्कृति में भी लोग दाल भात पंगत में खाने की परंपरा को अच्छा मान रहे हैं ।कई संस्थाएं आज भी शहरों में इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है जिसमें गढ़ भूमि लोक संस्कृति संरक्षण समिति ऋषिकेश लगातार पहाड़ की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही है ।