शब्दों के जादूगर थे डाॅ हरिवंश राय बच्चन-चिदानन्द सरस्वती

शब्दों के जादूगर थे डाॅ हरिवंश राय बच्चन-चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश- ’मिट्टी का तन मस्ती का मन क्षण भर जीवन मेरा परिचय’।शब्दों के जादूगर डाॅ हरिवंश राय बच्चन ने काव्य रचनाओं के माध्यम से कविताओं का ऐसा माधुर्य परोसा जिसकी मिठास से भारतीय साहित्य हमेशा समृद्ध रहेगा। हिंदी साहित्य के लोकप्रिय कवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन जी ने मानव जीवन में प्रेम, सौंदर्य, दर्द, मस्ती और माधुर्य सभी को शब्दों में पिरोकर जिन कविताओं का सृजन किया वे अपने आप में एक मिसाल हैं।





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परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज श्री हरिवंश राय बच्चन की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि बच्चन की कवितायें प्रेरणा देने वाली तथा मन की शुष्कता को हरियाली से सींचने वाली हैं। उन्होंने बोलचाल की भाषा को काव्य की गरिमा प्रदान कर सशक्त भाषा के रूप में खड़ा किया। “जो बसे हैं, वे उजड़ते हैं, प्रकृति के जड़ नियम से, पर किसी उजड़े हुए को फिर से बसाना कब मना है?’’ अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने दुनिया को सच्चाई और वास्तविकता से परिचय कराया। ‘जीवन की आपाधापी में कब वक्त मिला, कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूं, जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा भला। जिस दिन मेरी चेतना जगी मैंने देखा, मैं खड़ा हुआ हूं इस दुनिया के मेले में, हर एक यहां पर एक भुलाने में भूला। स्वामी चिदानंद ने कहा कि जीवन की सच्चाई, गहराई और ऊँचाई को इतनी सहजता से शब्दों में पिरो देना केवल बच्चन जी ही कर सकते हैं। कहा कि, मर्यादित काव्य सृजन की मिसाल है श्री हरिवंश राय बच्चन जी की कवितायें, जो जीवन जीने का मार्ग दिखाती हैं। जनजागरण के लिये काव्य सबसे बेहतर माध्यम है। इससे भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है तथा जीवन में सृजनशीलता और मिठास उत्पन्न होती है। वर्तमान समय में विशेषकर युवावर्ग जहां और जैसे अपना समय और ऊर्जा व्यतीत करते हैं फिर भी कई बार जीवन का आनंद नहीं ले पाते क्योंकि कल क्या हुआ और कल क्या होगा इसमें ही उलझ कर रह जाते हैं। रोजमर्रा की जिंदगी से ऊब कर भविष्य में अपनी खुशी और आनन्द को तलाशने लगते हैं लेकिन साहित्य सृजन से जुड़कर वर्तमान पल को भी खुशी से जिया जा सकता है, फिर लगने लगता है कि हमारे सामने जो हो रहा है वह सही हो रहा है, वही जीवन है।वही जादुई व विलक्षण परिवर्तनकारी क्षण है, यह भाव जागृत हो जाता है तथा यह सूत्र मिल जाता है कि जीवन केवल वर्तमान क्षण में ही उपलब्ध है।

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