ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए महिलाओं को होना होगा जागरूक-प्रो रविकांत

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए महिलाओं को होना होगा जागरूक-प्रो रविकांत ऋषिकेश- महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं। जनजागरुकता की कमी से इस बीमारी की ओर शुरुआत में ध्यान नहीं देने के कारण यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है। लिहाजा इस रोग के बढ़ते ग्राफ को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चिंता जाहिर की है। उपचार में देरी और बीमारी को छिपाने से यह बीमारी जानलेवा साबित होती है।





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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत का कहना है कि महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरुक नहीं रहतीं। लिहाजा जागरुकता के अभाव के चलते प्रतिवर्ष देश में औसतन 30 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं। उनका कहना है कि सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की सभी विश्वस्तरीय आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं। संस्थान में इसके लिए विशेषतौर पर ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र’ की स्थापना की गई है। जिसमें महिलाओं से जुड़ी इस बीमारी से संबंधित सभी तरह के परीक्षण और उपचार अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा एक ही स्थान पर किया जाता है।
संस्थान के इंटिग्रेडेड ब्रेस्ट कैंसर क्लिनिक ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र ’ की प्रमुख व वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रोफेसद डाॅ. बीना रवि जी ने इस बाबत बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत अधिकांशत: 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाई जाती है। उन्होंने बताया कि 80 प्रतिशत महिलाओं में इन्वेसिव डक्टल काॅर्सिनोमा के कारण कैंसर होता है। यह कैंसर मिल्क डक्ट में विकसित होता है। शुरुआत में यदि इस पर ध्यान नहीं दिया तो धीरे-धीरे यह गंभीर स्थिति में पहुंचकर ब्रेन, लीवर और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचकर पूरे शरीर में फैल जाता है। आईबीसीसी प्रमुख प्रो. बीना रवि ने बताया कि संस्थान के ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र’ में इस बीमारी की सघनता से जांच कर बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जिसमें विस्तृत जांचों के आधार पर कैंसर के स्टेज का पता लगाया जाता है। साथ ही केंद्र में सर्जरी के माध्यम से गांठ को निकालने और रेडिएशन देने की सुविधा भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि महिला का इलाज करने के दौरान ट्रिपल असिस्मेंट की विधि अपनाई जाती है। जिसमें चरणबद्ध तरीके से मेमोग्राफी, बायोस्पी और महिला की काउन्सिलिंग के 3 चरण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं की छाती में गांठ है अथवा उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत है, उन्हें इस तरह के लक्षणों को छिपाना नहीं चाहिए बल्कि समुचित उपचार के लिए तत्काल अस्पताल पहुंचकर अनुभवी चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए।

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