शिखर पर बुजुर्ग साहित्यकार आर पी डंगवाल “शिरीष”

शिखर पर बुजुर्ग साहित्यकार आर पी डंगवाल “शिरीष”

ऋषिकेश- नाम आर पी डंगवाल ‘शिरीष’।उम्र 80 वर्ष।शैक्षिक योग्यता स्नातकोत्तर।पेशा साहित्यकार।उपलब्धियां अनगिनत।जी हां सक्षिप्त में कुछ यही परिचय है तीर्थ नगरी के पितामह कहे जाने वाले उस बुजुर्ग साहित्यकार का जिन्होंने अपनी कलम की धार और साहित्यिक रचनाओं से न सिर्फ उत्तराखंड में अमिट छाप छोड़ी है बल्कि देशभर में साहित्यिक गतिविधियों में रूची रखने वालों को अपना मुरीद बनाया है।अभी हाल में ही देश के शिक्षा मंत्री डा रमेश पोखरियाल निंशक ने उनके ताजातरीन कविता संग्रह “अनुभूति के स्पंद का विमोचन किया।





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अपने काव्य ग्रंथों के लिए देश के कई अवार्ड जीत चुके बुजुर्ग साहित्यकार आर पी ढगंवाल ‘श्रीरीष ‘ ने एक मुलाकात में ‘जिंदगी सिर्फ गम ही गम तो नहीं, अपने हिस्से में ही अआलम तो नहीं। और भी लोग हैं जो हैं ग़मगीन, तुम ही तुम या कि हम ही हम तो नहीं..’। शेर के साथ अपने जीवन का फलसफा सामने रखा।उम्र के असर और अनेकों बीमारियों से जूझने के बावजूद मुस्कुराते हुए मिलने की अदा मेंउनकी जीवटता साफ झलक रही थी।उन्होंने बताया कि कवि जीवन के आनंद और दुख दोनों पलों को अपनी लेखनी में समेटता है। इसलिए उसकी भूमिका भी दार्शनिक जैसी होती है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रभाषा के उन्नयन के लिए उनका कविता संग्रह एक छोटा सा प्रयास है। जिससे युवा कवियों को निश्चित ही प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने विश्वास पूर्वक कहां कि अनुभूति के स्पंद कविता संग्रह को पढ़ते समय पाठक अपने ज्ञान और क्षमताओं को एक अलग दृष्टिकोण से देख पाएंगे। साथ ही हृदय के दिव्य संगीत का अनुभव भी उन्हें जरूर होगा ।

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