राष्ट्र प्रेम के भावना की आर्दश मिसाल है राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी – स्वामी चिदानन्द

राष्ट्र प्रेम के भावना की आर्दश मिसाल है राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी – स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने क्रान्तिकारी महानायक राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि आज के दिन ही शहीद लाहिड़ी जी को फांंसी पर लटकाया गया था, भारतमाता के इस सपूत की देशभक्ति और समर्पण को नमन है।
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स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि शहीद लाहिड़ी अद्म्य साहस और निडर व्यक्तित्व के धनी थे, जिस दिन उन्हें फाँसी पर लटकाया जाना था उस दिन वे प्रातःकाल व्यायाम कर रहे थे तब उन्हें जेलर और जेल के अन्य कर्मचारियों ने पूछा कि फाँसी पर लटकाने से पूर्व व्यायाम करने का क्या मतलब है, इस पर शहीद लाहिड़ी ने निडर होकर कहा चूँकि मैं हिन्दू हूँ और पुनर्जन्म में मेरी अटूट आस्था है, अतः अगले जन्म में मैं स्वस्थ शरीर के साथ ही पैदा होना चाहता हूँ ताकि अपने अधूरे कार्यों को पूरा कर देश को स्वतन्त्र करा सकूँ। इसीलिए मैं रोज सुबह व्यायाम करता हूँ। आज मेरे जीवन का सर्वाधिक गौरवशाली दिवस है तो यह क्रम मैं कैसे तोड़ सकता हूँ। उनके द्वारा दिया गया अन्तिम सन्देश एक शिलापट्ट पर आज भी अंकित है – ‘मैं मरने नहीं जा रहा, अपितु भारत को स्वतन्त्र कराने के लिये पुनर्जन्म लेने जा रहा हूँ।उन्होने कहा कि परमात्मा पर इतना अटूट विश्वास और अपनी मातृभूमि को आजाद करने के लिये बार-बार जन्म लेकर अपने जीवन को न्यौछावर करने की भावना, अद्म्य साहसी और अपने देश से अटूट प्रेम करने वाले महापुरूष ही कर सकते है।