ईमानदार लोगों को आगे लाकर भ्रष्टाचार मुक्त समाज के निर्माण की परिकल्पना होगी साकार-स्वामी चिदानन्द

ईमानदार लोगों को आगे लाकर भ्रष्टाचार मुक्त समाज के निर्माण की परिकल्पना होगी साकार-स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश- आज के दिन पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जा रहा है। 31 अक्तूबर, 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में प्रस्ताव पारित किया गया था ।तब से पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भ्रष्टाचार को समूल रूप से समाप्त करने के लिये नई पीढ़ी को शिक्षित करने की जरूरत है। इसके लिये बच्चों को प्राइमरी शिक्षा से लेकर विश्व विद्यालय स्तरीय शिक्षा के माध्यम से शिक्षित करना आवश्यक है कि भ्रष्टाचार किस तरह हमारे समाज, तंत्र और राष्ट्र को खोखला कर रहा है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में जितना महत्त्व निगरानी तंत्र, हमारे देश की कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं का है, उससे भी अधिक जवाबदारी और जवाबदेही जनसमुदाय की भी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जब तक आम जनता जागरूक होकर भ्रष्ट गतिविधियों का विरोध नहीं करेगी, तब तक केवल कानून व्यवस्था के माध्यम से भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं किया जा सकता है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिये एक सुदृढ़, सतर्क और संगठित समाज व्यवस्था का होना नितांत आवश्यक है। सभी को अपनी सोच से भ्रष्टाचार की सामाजिक स्वीकार्यता को निकालना होगा। भ्रष्टचार चाहे वह छोटे स्तर पर हो या बड़े स्तर पर वह एक भ्रष्ट व्यवस्था का निर्माण करता है इसलिये इसे बनाए रखने के मुकाबले इसका समूल नष्ट करने हेतु योगदान देना होगा।कहा कि, नैतिकता और आचार, विचार और व्यवहार में नैतिक गुणों का विकास कर काफी हद तक भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता है। बच्चों में अध्यात्म और नैतिक गुणों को विकसित कर भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है। समाज में अमीरी और गरीबी की बढ़ती खाई भी भ्रष्टाचार को काफी हद तक बढ़ा रही है। साथ ही भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिये व्यवहार और कार्य पद्धति में पारदर्शिता, खुलापन और निष्पक्षता का समावेश करना होगा तभी आपसी विश्वास और एक-दूसरे पर आस्था बनी रहेगी। आज समाज में एक ऐसा वातावरण निर्माण करने की जरूरत है जहांं भ्रष्ट दिमाग और भ्रष्ट व्यक्ति का हृदय परिवर्तन किया जा है। प्रत्येक मनुष्य के दिल में नैतिकता के उच्च मानदण्डों को स्थापित कर एक भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है। समाज में इस तरह का परिवर्तन लाने के लिये ईमानदार व्यक्तियों को आगे आना होगा।