दूसरों के जीवन में खुशियां लाने का काम कर रहे हैं वॉलिंटियर्स-स्वामी चिदानन्द

दूसरों के जीवन में खुशियां लाने का काम कर रहे हैं वॉलिंटियर्स-स्वामी चिदानन्द

ऋषिकेश- अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस उन लोगों और संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिये मनाया जाता है जो दूसरों के जीवन में खुशियाँ लाने और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपना समय और ऊर्जा प्रदान करते हैं। आज के दिन का उद्देश्य यह भी है कि जो स्वयंसेवक और स्वयंसेवी संगठन पूरा वर्ष दूसरों को खुशियाँ बांटते हैं उन्हें प्रोत्साहित किया जाये ताकि वे और मजबूती और नई ऊर्जा के साथ आगे भी कार्य करते करते रहें।

आज इन्टरनेशनल वालेंटियर दिवस, के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रहीं स्वयं सेवी संस्थाओं और स्वयंसेवकों का आह्वान करते हुये कहा कि बिना किसी आशा, अपेक्षा और उम्मीद के दूसरों के जीवन में खुशियों के रंग भरना केवल एक दयालु हृदय ही कर सकता है। स्वयं सेवक, निःस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं जिससे शान्ति और सद्भावना का संदेश व्यापक स्तर पर प्रसारित होता है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि सेवा करने से जो अनुभव और सुख मिलता है वह जितना वंचित और पीड़ित व्यक्ति के जीवन में खुशियाँ लाता है उससे अधिक खुशियाँ और शान्ति, सेवा करने वाले के जीवन में आती हैं। कुछ देने का सुख दूसरों से लेने के सुख से बहुत बड़ा होता है। देने से तात्पर्य केवल सामान या वस्तुओं का दान करने से नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि सेवा केवल बहुत अमीर लोग ही कर सकते हैं बल्कि सेवा करने के तो अनन्त रास्ते हैं। किसी हताश और निराश व्यक्ति को प्रेम से दो शब्द बोलना, उसकी ओर देख कर मुस्कराना भी कई बार उसके जीवन को खुशियों से भर देता है इसलिये तो कहा जाता है कि सेवा और सेवाभावी हृदय दुनिया में विलक्षण परिवर्तन कर सकते है। कहा कि, सुनामी, उत्तराखंड़ आपदा, कोरोना वायरस और ऐसे कई अवसर मुझे याद हैं जब परमार्थ निकेतन के साथ मिलकर अनेक स्वयंसेवकों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने दिल खोलकर समय एवं अपनी प्रतिभा का दान दिया और फिज़िकल रूप से भी सेवा की। स्वयंसेवकों के बिना हमारी दुनिया और समाज का स्वरूप बिल्कुल अलग होता क्योंकि जब कोई दूसरों के दर्द के साथ जुड़ता है तब ही सेवा रूपी सोच कर्म के रूप में बाहर आती है। आज भी हमारे समाज में ऐसे अनेक मौन स्वयंसेवक है जो सेवा कार्य कर रहे हैं। समर्पित और निष्ठावान स्वयंसेवकों की आवाज़ नहीं बल्कि सेवा ही बोलती है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इसका एक अनुपम उदाहरण है, जिसने लाखों स्वयं सेवक राष्ट्र की सेवा में समर्पित किये है। आईये सेवा हेतु समर्पित उन सभी संस्थाओं और स्वयंसेवकों की सेवा को नमन। स्वामी चिदानंद ने कहा कि आज हमारे समाज को, पर्यावरण, जलस्रोतों और पूरी धरती को सेवाभावी स्वयंसेवियों की जरूरत है जो एक्टिव और इफेक्टिव होकर समाज के साथ-साथ पर्यावरण के दर्द को भी समझें और उस दर्द से बाहर निकालने के लिये अपने टाइम, टेलेंट, टेक्नोलॉजी और टेनासिटी का उपयोग कर सेवा कार्यों कोें आगे बढ़ायें।

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