शर्तें थोपकर नहीं हो सकता व्यापार मंडल का एकीकरण-नरेश अग्रवाल

शर्तें थोपकर नहीं हो सकता व्यापार मंडल का एकीकरण-नरेश अग्रवाल

ऋषिकेश- प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के जिलाध्यक्ष नरेश अग्रवाल ने कहा है कि प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल की संबद्धता पर आस्था रखने वालों का खुले दिल से व्यापार मंडल में स्वागत है लेकिन शर्तें थोपकर व्यापार मंडल के एकीकरण की बात को स्वीकार नही किया जा सकता।
नगर उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल की मजबूत इकाई है जिसकी प्रदेश में 371 शाखाएं है। उत्तराखंड में धारचूला से लेकर बद्रीनाथ तक साढे पांच लाख सदस्य संस्था से जुड़े हुए हैं। उन तमाम व्यापारियों के हितों की लड़ाई लगातार प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल वर्षों से लड़ता रहा है।

यह तमाम बातें शुक्रवार की दोपहर त्रिवेणी घाट स्थित एक होटल में पत्रकारों से मुखातिब हुए प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के जिलाध्यक्ष नरेश अग्रवाल ने कही। उन्होंने बताया कि इस वर्ष प्रांतीय नेतृत्व के आदेश पर मजबूत व्यापारिक संगठन के गठन के लिए नगर उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के चुनाव कराए जा रहे हैं जिसका सदस्यता अभियान जोर-शोर से इन दिनों चल रहा है। करीब साढे आठ सौ सदस्यों ने अब तक सदस्यता ग्रहण की है। आगामी 10 दिसंबर तक 2000 से अधिक छोटे-बड़े दुकानदारों को संगठन में शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। नगर में कुछ व्यापारी नेताओं द्वारा नये व्यापारी संगठन को लेकर की जा रही कवायद के बारे में जानकारी देते हुए जिलाध्यक्ष अग्रवाल ने बताया कि इस संदर्भ में दो दौर की वार्ता अन्य व्यापारिक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों से की जा चुकी है लेकिन जिन शर्तो को थोपकर वह एकीकरण की बात कर रहे हैं उसे किसी भी सूरते हाल में माना नही जा सकता। शहर में अतिक्रमण के मामले पर उन्होंने स्पष्ट किया कि एन एच के अधिकारी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ अंधेरे में तीर चला कर व्यापारियों को गुमराह कर रहे हैं जबकि व्यापार मंडल के पास तमाम नक्शे एवं आवश्यक डॉक्यूमेंट मौजूद है ।व्यापारिक हितों की लड़ाई के लिए व्यापार मंडल कटिबद्ध है।जरूरत पड़ी तो कोर्ट और सड़क दोनों स्तरों पर मजबूती के साथ व्यापारिक हितों की लड़ाई लड़ी जायेेेगी। पत्रकार वार्ता में श्रवण जैैैन, हरगोपाल अग्रवाल, संजय व्यास ,ललित मोहन मिश्रा,रवि जैन , प्रतीक कालिया, दीपक तायल,ललित मनंचदा, अनुज जैन आदि मोजूद रहे।

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