उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति का प्रतीक है ईगास पर्व- डॉ राजे सिंह नेगी

उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति का प्रतीक है ईगास पर्व- डॉ राजे सिंह नेगी
ऋषिकेश-अंतरराष्ट्रीय गढ़वाल महासभा के अध्यक्ष व विभिन्न संगठनों से जुड़े समाजसेवी डॉ राजे सिंह नेगी ने कहा कि ईगास (बूढ़ी दीपावली) का त्योहार लोक संस्कृति से जुड़ा पर्व है।राज्य के पहाड़ में मनाए जाने वाले इस पारंपरिक त्योहार को जन-जन के बीच दीपावली, होली व अन्य पर्वों की तरह मनाया जाना चाहिए। डॉ नेगी ने जानकारी दी कि पहाड़ में बग्वाल दीपावली के ठीक 11 दिन बाद ईगास मनाने की परंपरा है। दरअसल ज्योति पर्व दीपावली का उत्सव इसी दिन पराकाष्ठा को पहुंचता है, इसलिए पर्वों की इस श्रंखला को ईगास-बग्वाल नाम दिया गया।
दूसरी मान्यता के अनुसार दीपावली के समय गढ़वाल के वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट, तिब्बत का युद्ध जीतकर विजय प्राप्त की थी। दीपावली के ठीक ग्यारहवें दिन गढ़वाल सेना अपने घर पहुंची थी। युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दीपावली मनाई थी।
अंतरराष्ट्रीय गढवाल महासभा के अध्यक्ष डॉ नेगी के अनुसार उत्तराखंड की लोक संस्कृति के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद आवश्यक है। जिससे आने वाली पीढ़ी को उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू किया जा सके। महासभा इसी पर फोकस कर लगाकर सांस्कृतिक विरासत को बचाने की जद्दोजहद में जुटी हुई है।