ऋषिकेश का ऑरेंज नगरी के रूप में होगा सौन्दर्यीकरण -अनिता ममगाईं

ऋषिकेश का ऑरेंज नगरी के रूप में होगा सौन्दर्यीकरण -अनिता ममगाईं
ऋषिकेश- संत समिति ऋषिकेश द्वारा आगामी कुंभ को देखते हुए ऋषिकेश तीर्थ नगरी क्षेत्र के तमाम मठ मंदिरों ,आश्रमों , धर्मशालाओं के बिजली पानी के बिलों को माफ किए जाने के साथ उनकी रंगाई पुताई व मरम्मत किए जाने के अतिरिक्त आने वाले यात्रियों की सुविधार्थ शौचालय व स्नान घरों का निर्माण किए जाने की मांग प्रदेश के मुख्यमंत्री से की है। मंगलवार को विश्नोई मंदिर में संत समिति के अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत की अध्यक्षता व महामंत्री महंत रामेश्वर गिरी के संचालन में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा, कि इस बार हरिद्वार में महाकुंभ ऐसे समय में हो रहा है। जब देश भर में कोरोना संक्रमण काल चल रहा है। जिसे लेकर केंद्र व राज्य सरकार भी काफी गंभीर है। जिसने इससे बचने के लिए गाइडलाइन भी तैयार की हैं। ऐसे समय में सभी संतो को भी सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइन का पालन करते हुए अपने अनुयायियों से कुंभ काल के दौरान आग्रह करना चाहिए कि वह सरकार द्वारा बनाई गई, गाइड लाइन का भी अक्षरशः पालन करें ।और धर्म व आस्था से जुड़े कुंभ मेले को संपन्न कराने के लिए सभी संतो को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए , समिति के अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत ने यह भी कहा कि तीर्थ नगरी ऋषिकेश को पौराणिक ग्रंथों में हृषिकेश भगवान के नाम से जाना जाता है ।और इसकी पहचान भी हृषिकेश के नाम से ही है ।लेकिन कालांतर में सामान्य बोलचाल के चलते इसका नाम अभ्रंश होकर ऋषिकेश हो गया है ।उन्होंने मांग की है ,कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा कुंभ के दौरान प्रचार प्रसार हेतु लगाए जाने वाले होल्डिंगों पर ऋषिकेश के स्थान पर हृषिकेश लिखा जाए ,इसी के साथ उन्होंने यह भी मांग की है, कि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन का नाम योग नगरी ऋषिकेश रखे जाने का समिति द्वारा विरोध करते हुए कहा गया कि सरकार द्वारा योग नगरी ऋषिकेश के नाम से स्टेशन का नाम रखा गया है, जिसका नाम बदल कर इसकी पुरानी पहचान के अनुरूप हृषिकेश योग नगरी ही रखा जाए । बैठक के दौरान वक्ताओं ने सरकार पर यह भी आरोप लगाते हुए कहा कि कुंभ मेले के दौरान मेला क्षेत्र में विकास को लेकर की जाने वाली धनराशि पर भी उपेक्षा पूर्ण रवैया अपना रही है। जिसके चलते तीर्थ नगरी ऋषिकेश मेला क्षेत्र पूरी तरह सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहा है ।उनका कहना था ,कि मेले का बजट हरिद्वार में ही खर्च किया जा रहा है ।जिसे संत समाज बर्दाश्त नहीं करेगा ।जबकि कुंभ मेला क्षेत्र हरिद्वार से लेकर देवप्रयाग तक सरकार द्वारा घोषित किया गया है ।उसके बावजूद भी ऋषिकेश से देवप्रयाग तक किसी भी प्रकार का बजट आवंटित ना किया जाना सरकार की मानसिकता को ही जग जाहिर करता है ।बैठक में कहा गया है, कि समय रहते सरकार को इस संबंध में एक ज्ञापन देकर चेताया जाना चाहिए ,उन्होंने कहा कि सरकार व कुंभ मेला प्रशासन द्वारा बसंत पंचमी पर ऋषिकेश व देवप्रयाग में पर्व मनाए जाने के दौरान संतों के स्नान कराए जाने की घोषणा की है ।लेकिन अभी तक इन दोनों क्षेत्रों की उपेक्षा के कारण संतों में रोष उत्पन्न हो रहा है ।
बैठक में नगर निगम महापौर अनीता ममगांई ने कहा कि ऋषिकेश संतो की नगरी है ।इसलिए मेरा प्रयास रहेगा कि भविष्य में पूरे नगर का ऑरेंज नगरी के रूप में सुंदरीकरण किया जाए। संतो ने जो भी मांग रखी है मेरा प्रयास रहेगा कि मैं उसे उन करूं। उनका कहना था कि अभी तक कुम्भ बजट से एक धेला भी विकास के लिए नहीं मिला है ।इसके लिए संतों को भी एक माला जपनी चाहिए ।
बैठक में भरत मिलाप आश्रम के महंत राम कृपालु समिति के महामंत्री महंत रामेश्वर गिरी, महंत पूर्णानंद, महंत हरिदास, आचार्य जय राम पंवार ,महंत भगवान दास शास्त्री, महंत गोपाल बाबा, महंत संध्या गिरी, महंत धर्मदास ,महंत परमानंद दास ,मंहत कृष्णानंद , महंत श्रद्धा गिरी ,महंत हरकेशवरी देवी, महंत इंदर गिरी ,योगी सिद्धांत सारस्वत ,योगी सुमित, महंत सर्वेंद्र सिंह, महंत राधे पुरी, स्वामी ध्यान दास कोतवाल, महंत बलबीर सिंह, पंडित रवि शास्त्री, स्वामी गोविंदपुरी, महंत नित्यानंद गिरी , महंत गोपालाचार्य, मंहत केवल्यानंद , प्रवक्ता जयकुमार तिवारी सहित काफी संख्या में संत उपस्थित थे।