कृष्ण कुंज आश्रम में श्रद्धा पूर्वक मनाया गया गोपाष्टमी का पर्व
कृष्ण कुंज आश्रम में श्रद्धा पूर्वक मनाया गया गोपाष्टमी का पर्व
ऋषिकेश-कृष्ण कुंज आश्रम की कृष्णान्यन गौशाला में गोपाष्टमी पर्व जगतगुरु रामानुजाचार्य उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णाचार्य महाराज की अध्यक्षता में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया।
पंडित रवि शास्त्री ने बताया कि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी और आज ही गाय को गोमाता भी कहा था। इस दिन प्रातः काल में उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान आदि करते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे मनाई जाती है गोपाष्टमी ? इस पर्व में प्रातः काल स्नान करने के बाद गायों को स्नान आदि कराकर गौ माता और बछड़े के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे आदि लगाकर सजाया जाता है। इस दिन बछडे़ सहित गाय की पूजा करने का विधान है।
प्रातः काल में ही धूप-दीप अक्षत, रोली, गुड़, आदि वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया जाता है और आरती उतारी जाती है। इस दिन कई व्यक्ति ग्वालों को उपहार आदि देकर उनका भी पूजन करते हैं। गायों को खूब सजाया जाता है। इसके बाद गाय को चारा आदि डालकर परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करने के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलते हैं। ऐसी आस्था है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने वालों को बड़ा ही पुण्य मिलता है।
इस दिन ग्वालों को भी दान दिया जाता हैं। कई लोग इन्हें नए कपड़े दे कर तिलक लगाते हैं। शाम को जब गाय घर लौटती है, तब फिर उनकी पूजा की जाती है, उन्हें अच्छा भोजन दिया जाता है। खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता हैं। जिनके घरों में गाय नहीं होती है वो लोग गौ शाला जाकर गाय की पूजा करते है, उन्हें गंगा जल, फूल चढाते है, दिया जलाकर गुड़ खिलाते है। गौशाला में खाना और अन्य समान का दान भी करते है। स्त्रियां कृष्ण जी की भी पूजा करती है, गाय को तिलक लगाती है। इस दिन भजन किये जाते हैं। कृष्ण पूजा भी की जाती हैं।
इस अवसर पर जगतगुरु रामानुजाचार्य उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णचार्य महाराज ,आचार्य गोपालचार्य , सुरेश दास, त्रिभुवन दास ,गोवर्धन दास, गोपाल दास महाराज ,रामस्वरूप दास आदि संत मौजूद रहे।