बच्चों को उचित शिक्षा देना परिवार के साथ समाज का कर्तव्य – स्वामी चिदानन्द

बच्चों को उचित शिक्षा देना परिवार के साथ समाज का कर्तव्य – स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश- अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारा उद्देश्य और प्रयत्न ’एजुकेशन फाॅर ऑल’ होना चाहिये तभी एक शिक्षित समाज का निर्माण सम्भव है।आज के दिन दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस मनाया जाता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही शिक्षा को इतना सहज बनाया जाये कि सभी बच्चों तक पहुंच हो तथा सभी के लिए सहज रूप से उपलब्ध हो। शिक्षा एक मानवीय अधिकार है और सभी तक इसकी सुरक्षित पहुँच होना नितांत आवश्यक है। बच्चों को उचित शिक्षा देना केवल उनके परिवार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि पूरे समाज का कर्तव्य है।कहा कि ,एक समय था जब नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षण संस्थानों ने भारत को गौरवान्वित किया था। हमारे शिक्षण संस्थानों में प्रवेश द्वार पर लिखा जाता था और आज भी लिखा जाता है ’शिक्षार्थ आइए सेवार्थ जाइए’। हमारे गुरूकुलों और शिक्षण संस्थाओं का लक्ष्य छात्रों के चरित्र का निर्माण करना ही था। सब को सम्मान और समान शिक्षा का अधिकार जैसी आदर्श व्यवस्था थी भारत में। वर्तमान समय की शिक्षा पद्धति और पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों का बौद्धिक तो हो रहा है परन्तु मानवीय मूल्यों का हनन भी देखने को मिल रहा है। बच्चों के अन्दर काम्पीटिशन बढ़ रहा है और कम्पेशन (करूणा) खोती जा रही है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि छात्र केवल अपने भाग्य का निर्माता नहीं होता बल्कि वह राष्ट्र के निर्माता होता है, उन्हें शिक्षा के साथ मानवीय मूल्यों का ज्ञान और बोध करना अत्यंत आवश्यक है। जब बच्चे अपने मूल से जुडेंगे, अपनी संस्कृति के मूल्यों को पहचानेंगे तभी वे एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। बच्चों को पाठ्यक्रम के साथ करूणा, शान्ति और समरसता आदि मानवीय मूल्यों से शिक्षित करना होगा तभी अहिंसा की स्थापना हो सकती है।