होनहारों ने कोरोनाकाल के मुश्किल समय को भी पेरेंट्स के सहयोग से बनाया खास

होनहारों ने कोरोनाकाल के मुश्किल समय को भी पेरेंट्स के सहयोग से बनाया खास

ऋषिकेश-वैश्विक महामारी कोरोना ने लोगों की जीवन शैली और बच्चों की पड़ाई दोनों को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। होनहार बच्चों की बात करें तो कोरोनाकाल में मिले समय का उन्होंने सदुपयोग किया है।बीस बीघा बापू ग्राम म निवासी सुरेश चन्द्र थपलियाल के बेटे अक्षत की मानें तो मुश्किल समय में परेंट्स के सपोर्ट से उनकी स्टडीज बिल्कुल बाधित नही हुई।

निर्मल आश्रम दीपमाला पगारानी पब्लिक स्कूल के सातवीं कक्षा के छात्र अक्षत के अनुसार लॉकडाउन होने पर स्कूल बंद हुए, तो समझ ही नहीं आया कि यह अब कब खुलेंगे और पढ़ाई कैसे होगी। कोरोना महामारी बढ़ने पर लॉकडाउन को और बढ़ा दिया गया, तो चिंता भी बढ़ने लगी। लेकिन सरकार के आदेश पर स्कूल ने आनलाइन कक्षाओं का संचालन शुरू कराया, जिसके बाद हमें थोड़ी राहत मिली। हालाकि पहले फोन इस्तेमाल के लिए कम मिलता था, लेकिन अब अभिभावक भी इसे देने के लिए मना नहीं करते, क्योंकि पढ़ाई का एकमात्र जरिया यही है।

टीवी खोलते ही हर चैनल पर सिर्फ कोरोना और उससे शिकार होने वाले लोगों की खबरें ही छायी थीं, जिन्होंने हमें भी डरा दिया। इसके बाद प्रवासी मजदूरों के पलायन और गरीब और मजदूरी की परेशानियों ने हमें काफी परेशान किया। लिहाजा परिवार के सहयोग से हमने भी उन्हें खाद्य पदार्थ वितरित कर अपनी जिम्मेदारी निभाने की कोशिश की।इस दौरान परिवार के साथ रहकर समय बिताने, उनके साथ ढेर सारी बातें करने और साथ में खाना पकाने और खाने का भी भरपूर मौका दिया। मैंने छोटे भाई के साथ मिलकर पापा के साथ खूब मस्ती की और कभी जलेबी तो कभी केक बनाकर सबको खिलाया। इस समय का सदुपयोग करने के लिए मैंने ऑनलाइन कई महत्वपूर्ण शैक्षिक जानकारी भी ली। स्वास्थ्य को लेकर सभी चिंतित थे, लिहाजा परिवार के सभी लोग मिलकर सुबह योग करते थे, इससे हमें काफी लाभ हुआ। ऐसा करने के बारे में पहले सोचा भी नहीं था। हालाकि घर से न निकलने की पाबंदी जरूर थी, लेकिन सबके साथ ने इस मुश्किल समय को भी बेहद खास बना दिया।

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