दुर्लभ संजोग के चलते छोटी दीपावली और धनतेरस कल -राजेंद्र नौटियाल

दुर्लभ संजोग के चलते छोटी दीपावली और धनतेरस कल -राजेंद्र नौटियाल
ऋषिकेश- दीपोत्सव के सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले धनतेरस पर्व को लेकर आज दिनभर असमंजस की स्थिति बनी रही। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इस वर्ष दुर्लभ संयोग के चलते दीपोत्सव पर यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
साल 2020 ने हमारी जिंदगी को हर तरह से प्रभावित किया है। इस साल अचंभित कर देने वाले बहुत से वाकये हुए हैं।जहां कोरोना वायरस की वजह से देश कई महीनों तक लॉकडाउन में रहा वहीं इस साल प्रमुख त्योहारों की बात करें तो उनमें भी वर्षों बाद दुर्लभ संयोग बने, जिन्होंने सबको हैरान कर दिया। धनतेरस की तारीख को लेकर लोगों में आज भी असमंजस की स्थिति रही। लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि धनतेरस 12 नवंबर को है या 13 नवंबर को। दरअसल हिन्दू धर्म के व्रत एवं त्योहार हिन्दी पंचांग की तिथियों के अनुसार ही मनाए जाते हैं। कई बार तिथियां और अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखें एक नहीं होती हैं। कई त्योहार और पर्व तिथियों में पड़ने वाली अवधि और काल पर निर्भर करते हैं, इसलिए कई बार त्योहारों की तारीखों पर असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है। धनतेरस की सही तारीख और तिथि क्या है?
उत्तराखंड के प्रमुख ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र नौटियाल के अनुसार हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार होता है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 12 नवंबर दिन गुरुवार को रात 09 बजकर 30 मिनट से हो रहा है, जो 13 नवंबर दिन शुक्रवार को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है।इस वर्ष इस दुलर्भ संजोग के चलते इस वर्ष एक ही दिन पड़ रही है छोटी दिवाली और धनतेरस। उन्होंने बताया धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में ही श्रेष्ठ मानी जाती है, ऐसे में प्रदोष काल 13 नवंबर को प्राप्त हो रहा है। 12 नवंबर को रात्रि से ही त्रयोदशी लग रही है। प्रदोष काल सूर्यास्त से बाद और रात्रि से पहले का समय काल होता है। ऐसे में धनतेरस की पूजा 13 नवंबर को करना ही उत्तम है।