पुष्प योग के चलते” अहोई अष्टमी “होगा फलदायी-राजेंद्र नौटियाल

पुष्प योग के चलते” अहोई अष्टमी “होगा फलदायी-राजेंद्र नौटियाल
ऋषिकेश-भारतीय संस्कृति विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां के पर्व व त्योहार हमारी परंपरा को और प्रागढ़ करते हैं। अहोई अष्टमी भी उनमें से एक है। उत्तराखंड के प्रमुख ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र नौटियाल ने बताया कि यह पर्व संतान की लंबी आयु व सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। कार्तिक कृष्ण अष्टमी को यह व्रत रखा जाता है। रविवार को यह पर्व मनाया जाएगा। अच्छी बात कि अहोई अष्टमी पर रवि पुष्य योग से आरंभ होगा और पूरे दिन सौम्य व सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा, जो फलदायी है।
ज्योतिष विशेषज्ञ नौटियाल ने बताया कि अहोई अष्टमी व्रत नि:संतान महिलाएं भी संतान की कामना के लिए करती हैं। अहोई का अर्थ होता है अनहोनी को टालने वाली माता। यह व्रत निर्जला रखना चाहिए। फल और दूध आदि भी नहीं लेना चाहिए। शाम को तारा उदय होने पर माताएं अर्घ्य देती हैं और संतान की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। उन्होंने बताया कि चंद्रमा पति कारक व तारे पुत्र कारक होते हैं। रविवार को सूर्यास्त शाम 5:28 बजे होगा और उसके आधे घंटे बाद आकाश में तारे दिखने शुरू हो जाएंगे। रात 11:58 बजे चंद्रमा दिखाई देगा।