फिर लौटा मां के हाथ के बने “स्वेटरों “का दौर
फिर लौटा मां के हाथ के बने “स्वेटरों “का दौर
यूट्यूब में डिजाइन पसंद कर युवा बनवा रहे हैं स्वेटर
लौटी ऊनों की दुकानों में रोनक,खिले दुकानदारों के चेहरे
ऋषिकेश -कुछ वर्षों के ब्रेक के बाद फिर लोटने लगा है मां के हाथों से बुने स्वेटरों का दौर।हालांकि बदलते जमाने में यह भी हाईटेक होने लगा है।सिलाईयो की जगह अब मशीनों ने ले ली है और डिजाईन के लिए सोशल मीडिया में यू ट्यूब का सहारा मोजूदा युवा पीढी लेने लगी है।
उल्लेखनीय है कि करीब दो दशक पहले तक सर्दी शुरू होने से पहले ही महिलाओं के हाथों में ऊन के गोले और सिलाइयां आ जाती थी, और घर परिवार के बच्चों बड़ों के स्वेटर बनने शुरू हो जाते थे। मां के बुने स्वेटरों के डिजाइन जहां बेमिसाल होते थे, वहीं उनके स्नेह की गर्माहट भी सर्दी से बचाव करती थी। महिलाएं एक दूसरे से मैग्जीन लेकर डिजाइन स्वेटर पर उतारा करती थी और घंटों बाते करते हुए स्वेटर बनाए जाते थे। फिर तेजी से समय का पहिया घूमा और हाथ से बने स्वेटर ओल्ड फैशन हो गये।इनकी जगह रेडिमेड स्वेटरों ने ले ली।इन सबके बीच महिलाओं के हाथ से ऊन के गोले और सिलाइयां छूट गई। अब न महिलाएं सर्दी की दोपहर में एक साथ बैठकर बच्चों के स्वेटर बनाती थी, और न ही बच्चों को मां के प्यार की गर्माहट ही मिल रही थी। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि हम पुरानी चीजें छोड़ तो सकते हैं, लेकिन उन्हें भूलते कभी नहीं है। यहीं कारण है कि फैशन को फॉलो करने वाली युवा पीढ़ी अब बाजार में ऐसे रेडीमेड स्वेटर ढूंढ रही है, जिनके डिजाइन हाथ से बने स्वेटर जैसे हो। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की गली में लुधियाना वूल स्टोर के नाम से दुकान चलाने वाले राजीव अग्रवाल ने बताया कि अब युवाओं की पसंद तेजी से बदलने लगी है। युवक युवतियां अब रेडीमेड स्वेटर में ऐसे डिजाइनर पसंद करने लगे हैं, जैसे कभी हाथ के बुने हुए स्वेटर के हुआ करते थे। इतना ही नहीं इस बार स्वेटर के रंगों में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। लोग स्वेटर में ब्राइट कलर की अधिक मांग कर रहे हैं। जिसमें लाल, ऑरेंज, ग्रीन और ब्लू डिमांड में है। लोग अपनी पसंद का स्वेटर पहनने के लिए अब ऑर्डर पर स्वेटर तैयार करवा रहे हैं, जिसमें सिंगल कलर के अलावा डबल कलर भी पसंद किए जा रहे हैं। यूट्यूब में डिजाइन पसंद कर लोग पुराने डिजाइन के स्वेटर बनवा रहे हैं, जिन्हें बनवाने में 500 से हजार रुपये तक का खर्च आता है।