भारत को सम्प्रदायिकता की नहीं सृजनशीलता की जरूरत -स्वामी चिदानंद

भारत को सम्प्रदायिकता की नहीं सृजनशीलता की जरूरत -स्वामी चिदानंद

ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना महामारी के कारण पूरा विश्व परेशान है। इस समय आपसी सहयोग, सेवा और समर्पण ही जीवन में शान्ति दे सकता है। वर्तमान समय में जब चारों ओर कोरोना वायरस का प्रकोप है, ऐसे में आपसी सहयोग, ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण ही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है, इस मार्ग पर चलते हुये व्यक्ति, तनाव से मुक्ति पा सकता है तथा विपरीत समय में ईश्वर के प्रति अदम्य प्रेम व समर्पण ही परम शान्ति का अनुभव कराता है।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि सामाजिक उद्देश्य के प्रति निष्ठा और सेवा भावी रूप से प्रतिबद्धता की मनःस्थिति ही वास्तविक समर्पण है। वर्तमान समय में भारत को हम सबके वास्तविक समर्पण, निष्ठा और नैतिकतापूर्ण व्यवहार की जरूरत है, क्योंकि नैतिकता मानव समाज का एक अटूट हिस्सा है। हम अपने देश से जो अपेक्षा करते हैं, देश भी हमसे वही आशा करता है। जब देश के प्रति अपनी निष्ठा की बात आती है तो अपने निजी हितों की चिंता नहीं करनी चाहिये। जब देश की बात आती है तो प्रत्येक व्यक्ति को नैतिकता और उत्कृष्टता के साथ व्यवहार करना होगा। देश भक्ति के लिये हम सभी नागरिकों के जीवन में नैतिक मानदंडों का होना नितांत आवश्यक है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद का इतिहास उठाकर देखें तो हम भारतीयों के बीच कभी धर्म, जाति, सम्प्रदाय और वेश-भूषा को लेकर कई मतभेद हुये, हिंसा भी हुई उसके पश्चात जो परिणाम आये उससे किसी एक धर्म या सम्प्रदाय का अहित नहीं होता बल्कि जो भी समस्यायें उत्पन्न होती हैं उससे पूरा भारत रूबरू होता है, इसलिये भारत में रहने वाले हर व्यक्ति का अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण हो, उसके प्रति निष्ठा हो और अपने राष्ट्र के प्रति नैतिकतापूर्ण आचरण करने की प्रतिबद्धता हो। हिंसा नहीं, अहिंसा है समाधान।स्वामी चिदानंद ने कहा कि वर्तमान समय में भारत को सम्प्रदायिकता की नहीं सृजनशीलता की जरूरत है, क्योंकि साम्प्रदायिकता हमारे राष्ट्र को विभाजित कर रही है और सृजनशीलता उसे उन्नति के मार्ग पर लेकर जायेगी।

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